सार

देश में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। पिछले 24 घंटे में 4 लाख से ज्यादा केस सामने आए हैं। बढ़ते हुए मामलों के बीच ऑक्सीजन, रेमडेविसीर , प्लाज्मा और दवाईयों की कमी की खबरें सामने आ रही हैं। इन्हें लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है। ऐसे में लोग गुहार लगाते नजर आ रहे हैं। लेकिन इससे पहले हमें ये समझना जरूरी है कि इनकी वाकई जरूरत कब पड़ती है। 

नई दिल्ली. देश में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। पिछले 24 घंटे में 4 लाख से ज्यादा केस सामने आए हैं। बढ़ते हुए मामलों के बीच ऑक्सीजन, रेमडेविसीर , प्लाज्मा और दवाईयों की कमी की खबरें सामने आ रही हैं। इन्हें लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है। ऐसे में लोग गुहार लगाते नजर आ रहे हैं। लेकिन इससे पहले हमें ये समझना जरूरी है कि इनकी वाकई जरूरत कब पड़ती है। 
 
पैरासिटामोल : 
पैरासिटामोल का इस्तेमाल बुखार या शरीर में दर्द के लिए किया जाता है। डॉक्टर एक दिन में सिर्फ दो या तीन बार इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं। इसे हर घंटे पर इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। अगर बुखार ठीक नहीं हो रहा है और बार बार आ रहा है तो डॉक्टर की सलाह लेने की जरूरत है। 

एंटीवायरल :
कभी खुद से दवाएं ना लें, डॉक्टर की सलाह लें। कोरोना के लिए लोपिनाविर, रिटोनाविर, रेमडिसिवीर और फेविपिराविर का इस्तेमाल किया जा रहा है। लेकिन अभी तक रेमडिसिवीर कुछ कारगर साबित हुई है। इसके अलावा कोई भी दवा कारगर साबित नहीं हुई। वहीं, फेविपिराविर का भी कोई बेनिफिट सामने नहीं आया है। जितनी स्टडी पब्लिश हुई हैं, उसमें किसी ने भी इसे कोविड में कारगर नहीं बताया है। अगर कोई डॉक्टर इस दवा को लिखते हैं, तो हमें पूछना चाहिए कि वे इसे क्यों लिख रहे हैं। 

रेमडेविसीर : यह रामबाण नहीं
एम्स डायरेक्टर गुलेरिया समेत तमाम बड़े अस्पतालों के डॉक्टरों ने यह साफ कहा है कि रेमडेसिविर रामबाण दवा नहीं है। किसी भी स्टडी में यह सामने नहीं आया है कि यह दवा मौत को कम करती है। हां इससे मरीजों में कुछ फायदा जरूर दिखा है। यह हॉस्पिटल स्टे को कम करता है। इसलिए इस इंजेक्शन के लिए हाहाकार ना मचाए। इसका इस्तेमाल डॉक्टर तभी करते हैं, जब मरीज के फेफड़ों में इंफेक्शन हो जाता है। इसके अलावा वेंटिलेटर पर जो मरीज हैं, उन्हें यह दवा दी जा सकती है।
 
प्लाज्मा थेरेपी : यह सबके लिए नहीं
प्लाज्मा को लेकर तमाम ट्रायल हुए हैं, इनमें यह साफ हो गया है कि प्लाज्मा थेरेपी कारगर नहीं है। प्लाज्मा थेरेपी भी एक्सीपेरिमेंटल है। यह भी सबके लिए नहीं है। जो लोग पहले से बीमार हैं, डायबिटीज या अन्य बीमारी है, उनमें यह कुछ हद तक फायदा पहुंचा सकता है। लेकिन आजकल हर तरफ लोग इसके लिए दौड़ लगा रहे हैं। वहीं, डॉक्टर्स की मानें तो प्लाज्मा सिर्फ उन्हीं डोनर का दिया जा सकता है, जो कोरोना से ठीक हो चुके हैं और उनके प्लाज्मा में पर्याप्त एंटीबॉडी है।

हर किसी को स्टेरॉयड की जरूरत नहीं
वहीं, इन दिनों स्टेरॉयड शब्द भी काफी चर्चा में है। यह ऐसे मरीजों को दी जाती है, जिनमें संक्रमण दूसरे हफ्ते तक जारी रहता है। बुखार बना रहता है और ऑक्सीजन स्तर कम होने लगता है। ऐसे में  इम्यून अपनी ही बॉडी के खिलाफ काम करने लगता है। इसे कंट्रोल करने के लिए स्टेरॉयड दी जाती है। 

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