सार

शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि पेपर लीक से केवल सीमित संख्या में स्टूडेंट्स प्रभावित हुए हैं। यह 2004 या 2015 की स्थितियां नहीं है जब पूरी परीक्षा प्रभावित हुई थी।

NEET Paper leak row: नीट पेपर लीक और रिजल्ट में गड़बड़ियों के ढेर सारे मामले सामने आने और हजारों छात्रों के सड़क पर प्रदर्शन के बाद भी सरकार ने मेडिकल प्रवेश परीक्षा NEET को रद्द न करने का फैसला किया है। परीक्षा रद्द न करने की वजह बताते हुए शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि पेपर लीक से केवल सीमित संख्या में स्टूडेंट्स प्रभावित हुए हैं। यह 2004 या 2015 की स्थितियां नहीं है जब पूरी परीक्षा प्रभावित हुई थी। 2004 और 2015 में व्यापक लीक के कारण परीक्षा रद्द करनी पड़ी थी। उन्होंने कहा कि अगर पेपर रद्द किया जाता तो लाखों की संख्या में वह स्टूडेंट्स भी प्रभावित होते जो सही तरीके से परीक्षा देकर पास किए हैं।

सरकार नहीं कोर्ट करेगा फैसला कि परीक्षा रद्द होगी या नहीं

धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि सरकार का मानना है कि लीक से केवल सीमित संख्या में छात्र प्रभावित हुए हैं, जबकि 2004 और 2015 में व्यापक लीक के कारण परीक्षा रद्द करनी पड़ी थी। इस बार परीक्षा रद्द करने से लाखों वह छात्र प्रभावित होंगे जिन्होंने सही तरीके से परीक्षा पास की है। प्रधान ने कहा कि परीक्षा रद्द होगी या नहीं अब कोर्ट इस पर निर्णय लेगा। चूंकि, इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में हो रही है तो कोर्ट द्वारा लिया गया कोई भी फैसला अंतिम होगा।

यूजीसी-नेट परीक्षा के प्रश्नपत्र के लीक होने को राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) की संस्थागत विफलता करार देते हुए प्रधान ने कहा कि सरकार एजेंसी के कामकाज की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय पैनल का गठन करेगी लेकिन नीट परीक्षा रद्द करने की कोई आवश्यकता नहीं है। कुछ छिटपुट घटनाओं के कारण उन उम्मीदवारों के करियर को बंधक बनाना अनुचित है, जिन्होंने सही तरीके से परीक्षा उत्तीर्ण की है। हम बिहार पुलिस के साथ लगातार संपर्क में हैं। हमने उनसे रिपोर्ट मांगी है। रिपोर्ट मिलने के बाद हम आगे की कार्रवाई तय करेंगे। मैं पूरी जिम्मेदारी लेता हूं और सिस्टम में विसंगतियों को दूर किया जाएगा। हमें अपने सिस्टम पर भरोसा रखना चाहिए और सरकार द्वारा किसी भी तरह की अनियमितता या कदाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

पेपर लीक और रिजल्ट में डेढ़ हजार स्टूडेंट्स को अधिक मार्क से विवाद

NEET-UG परीक्षा शुरू से ही विवादों में रहा। परीक्षा कराए जाने के दौरान पेपर लीक का आरोप लगा लेकिन सरकार लगातार इससे नकारती रही। एनटीए द्वारा संचालित स्नातक चिकित्सा कार्यक्रमों के लिए 5 मई को आयोजित नीट-यूजी 2024 परीक्षा में लगभग 24 लाख छात्रों ने भाग लिया था। परीक्षा का रिजल्ट 4 जून को जब जारी किया तो विवाद और गहरा गया। दरअसल, 67 छात्रों के 720 अंक लाने के बाद विवाद खड़ा हो गया। आधा दर्जन से अधिक स्टूडेंट्स तो एक ही सेंटर के थे। देशव्यापी आंदोलन शुरू हो गया। हजारों की संख्या में छात्र सड़कों पर आ गए। विपक्ष ने भी नीट को मुद्दा बना दिया। अब पेपर लीक और रिजल्ट दोनों को लेकर सरकार घिरने लगी। हालांकि, इसके बाद भी शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान पेपर लीक से नकारते रहे।

उधर, अधिक मार्क पाने वाले स्टूडेट्स को लेकर नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने स्पष्ट किया कि उन्होंने गलत प्रश्न और उम्मीदवारों को प्रश्नपत्र देरी से मिलने के कारण कुछ छात्रों को ग्रेस मार्क्स दिए थे।

लेकिन प्रश्नपत्र लीक होने और 1,500 से अधिक छात्रों को ग्रेस अंक दिए जाने के दावों के बीच नीट का विवाद बढ़ता ही गया। देश के विभिन्न हाईकोर्ट्स और सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर हुईं। सुप्रीम कोर्ट सख्त हुआ तो सरकार और एजेंसी बैकफुट पर आई। उधर, शिक्षा मंत्री के दावों के बीच बिहार और कई अन्य राज्यों में पेपर लीक गिरोह का भंड़ाफोड़ शुरू हो गया। लगातार बढ़ रहे दबाव और सामने आ रहे सबूतों के बाद धर्मेंद्र प्रधान ने स्वीकार किया कि गड़बड़ियां हुईं हैं। इसके बाद उन्होंने एक हाईलेवल कमेटी के गठन का ऐलान करते हुए निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया।

नीट के बाद नेट पेपर भी हुआ लीक

एनटीए की शुचिता पर एक बार फिर सवाल उठे जब यूजीसी-नेट परीक्षा कराए जाने के एक दिन बाद उसे रद्द करना पड़ा। करीब 11 अभ्यर्थियों का हायर एजुकेशन में शिक्षक बनने का ख्वाब भी टूटता नजर आया। एक दिन पहले एनटीए ने सीएसआईआर-नेट की परीक्षा भी रद्द कर दी है।

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