सार

इसरो (Indian Space Research Organisation) द्वारा लॉन्च किया गया चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) आज चंद्रमा के और करीब पहुंच गया। चंद्रयान अभी चंद्रमा के चक्कर लगा रहा है। इसरो द्वारा इसकी कक्षा की ऊंचाई कम की गई है।

बेंगलुरु। भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (Indian Space Research Organisation) ने चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) का ऑर्बिटल रिडक्शन मनुवर (orbital reduction manoeuvre) परफॉर्म किया है। इससे कक्षा की ऊंचाई कम की गई है। चंद्रयान-3 चंद्रमा के और करीब पहुंच गया है। ऑर्बिटल रिडक्शन मनुवर सुबह 11:30 से दोपहर 12:30 बजे के बीच किया गया। चंद्रयान अब चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग की तैयारी कर रहा है।

इससे पहले 9 अगस्त को ऑर्बिटल रिडक्शन किया गया था। आज के ऑर्बिटल रिडक्शन मनुवर के बाद चंद्रयान-3 चंद्रमा की 174 km x 1,437 km की कक्षा में पहुंच गया है। चंद्रमा की परिक्रमा के दौरान चंद्रयान-3 चंद्रमा के सबसे करीब 174 km और सबसे दूर 1,437 km है।

23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग करेगा चंद्रयान-3

बता दें कि चंद्रयान-3 को इसरो ने 14 जुलाई को लॉन्च किया था। इसने पांच अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था। 16 अगस्त को भी चंद्रयान-3 के कक्षा की ऊंचाई कम की जाएगी। चंद्रयान 23-24 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग करने वाला है। लैंडिंग से पहले चंद्रयान-3 अपनी रफ्तार कम करेगा।

चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अब तक कोई अंतरिक्ष यान नहीं पहुंचा

चंद्रयान-3 अपने साथ विक्रम लैंडर ले जा रहा है। यह चंद्रमा की सतह की जांच करेगा। अगर चंद्रयान-3 चंद्रमा की सतह पर सफल लैंडिंग करता है तो भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। अमेरिका, रूस और चीन ने पहले चांद पर लैंडिंग की है। चंद्रयान -3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करने वाला है। यह क्षेत्र ऊबड़-खाबड़ है। यहां बड़े-बड़े गड्ढे हैं। यहां लैंडिंग बड़ी चुनौती है। अब तक किसी भी देश ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग नहीं की है। भारत के साथ रेस लगाते हुए रूस ने 47 साल बाद अपना मून मिशन भेजा है। रूस का अंतरिक्ष यान लूना-25 चंद्रयान से पहले चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग करने वाला है।

यह भी पढ़ें- भारत के साथ रेस में रूस ने 47 साल बाद लॉन्च किया मून मिशन, 1 साल तक चंद्रमा की सतह पर खोज करेगा लूना-25