सार

चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) के लैंडर बिक्रम को डीबूस्टिंग (Lander Vikram Deboosting) से गुजरना होगा क्योंकि चांद की अंडाकार कक्षा में पहुंचने के लिए इसकी स्पीड कम की जाएगी।

Chandrayaan-3. चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम और प्रोपल्शन मॉडल को सफलतापूर्वक अलग किया जा चुका है। अब विक्रम लैंडर को चंद्रमा की सतह पर लैंड कराने की कोशिश की जाएगी। इससे पहले विक्रम लैंडर की डीबूस्टिंग होगी ताकि लैंडिंग से पहले इसकी स्पीड धीमी की जा सके। फिलहाल चंद्रमा से इसकी निकटतम दूसरी 30 किलोमीटर और अधिकतम दूरी करीब 100 किलोमीटर रह गई है।

क्या होती है डीबूस्टिंग, कब होगी शुरू

इसरो ने विक्रम लैंडर के डीबूस्टिंग की जानकारी दी है। साधारण शब्दों में कहा जाए तो डीबूस्टिंग का सीधा मतलब की स्पीड कम करने का प्रोसेस। 18 अगस्त शुक्रवार को शाम करीब 4 बजे विक्रम लैंडर की डीबूस्टिंग प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। तब इसे चंद्रमा की कक्षा के और नजदीक ले जाया जाएगा। इसरो ने सोशल मीडिया पर डीबूस्टिंग की जानकारी शेयर की है।

 

 

कब और कैसे लैंड करेगा लैंडर-रोवर

इसरो की जानकारी के अनुसार प्रोपल्शन मॉडल से अलग होने के बाद लैंडर मॉड्यूल और रोवर प्रज्ञान को चंद्रमा की कक्षा में उतारा जाएगा। लैंडर और रोवर चांद पर कदम रखने के लिए तैयार हैं। इसरो ने बताया है कि 23 अगस्त को लैंडर विक्रम को चांद की सतह पर उतारा जाएगा। 23 अगस्त शाम को 5.47 बजे सॉफ्ट लैंडिंग की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।

2019 में फेल हुई थी सॉफ्ट लैंडिंग

2019 में चंद्रयान मिशन-2 लांच किया गया था और तब यह चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग नहीं कर पाया था जिसकी वजह से मिशन अधूरा रहा गया। इस बार सॉफ्ट लैंडिंग के लिए स्पीड कम करने की तैयारी की गई है। करीब 600 करोड़ रुपए की लागत से चंद्रयान 3 मिशन लांच किया गया है। चंद्रयान-3 को बीते 14 जुलाई को इसरो ने प्रक्षेपित किया था।

यह भी पढ़ें

SBI Research: 10 साल में 3 गुना बढ़ी मिडिल क्लास की इनकम, जानें 2047 तक कितनी होगी भारतीयों की औसत कमाई?