सार
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कृषि कानूनों के अमल पर अगले आदेश तक रोक लगा दी। इसके अलावा किसानों के मुद्दों को निपटाने के लिए चार सदस्यों वाली एक कमेटी बनाई है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर किसान संगठनों और कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं।
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कृषि कानूनों के अमल पर अगले आदेश तक रोक लगा दी। इसके अलावा किसानों के मुद्दों को निपटाने के लिए चार सदस्यों वाली एक कमेटी बनाई है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर किसान संगठनों और कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं। किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा, किसान कोर्ट के फैसले से निराश हैं। उन्होंने कहा, कानून बनाने वाले लोग ही कमेटी में शामिल किए गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने जितेंद्र सिंह मान (प्रेसिडेंट, भारतीय किसान यूनियन), डॉ. प्रमोद कुमार जोशी (इंटरनेशनल पॉलिसी हेड) , अशोक गुलाटी (एग्रीकल्चर इकोनॉमिस्ट) और अनिल धनवत (शेतकरी संगठन, महाराष्ट्र) की एक कमेटी बनाई है। इस पर किसान नेताओं ने सवाल उठाए हैं।
अशोक गुलाटी ने कृषि कानूनों की सिफारिश की थी- टिकैत
राकेश टिकैत ने ट्वीट किया, ''माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित कमेटी के सभी सदस्य खुली बाजार व्यवस्था या कानून के समर्थक रहे हैं. अशोक गुलाटी की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने ही इन कानून को लाये जाने की सिफारिश की थी। देश का किसान इस फैसले से निराश है।''
'आंदोलन जारी रहेगा'
राकेश टिकैत ने कहा है कि जबतक कानून वापसी नहीं होगा, तबतक किसानों की घर वापसी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि हम अपनी बात रखेंगे, जो दिक्कत हैं सब बता देंगे। मीडिया से बातचीत में टिकैत ने कहा, मेरा सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद है कि उन्होंने सुनवाई की। किसान का नाम लिया। किसान सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। उन्होंने सवाल उठाया कि कमेटी में कौन लोग हैं, वे सरकार के ही आदमी हैं। अशोक गुलाटी ही किसानों के मुल्जिम नंबर एक हैं। वे कानून बनवाने वाली कमेटियों में शामिल थे। वे भारत सरकार की दस कमेटियों में शामिल हैं।
राकेश टिकैत ने भूपिंदर सिंह मान के नाम पर भी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा, भूपिंदर सिंह मान पिछले 25 साल से अमेरिकन मल्टीनेशनल कंपनियों की वकालत करता है, वे हिंदुस्तान के किसानों के भाग्या का फैसला करेंगे?
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बैठक के बाद किसानों ने क्या कहा?
- किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा, सरकार अपने ऊपर से दबाव कम करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के जरिए कमेटी ले आई, इसका हमने कल ही विरोध कल दिया था। हम प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से कमेटी को नहीं मानते हैं, कमेटी के सारे सदस्य कानूनों को सही ठहराते रहे हैं।
- उन्होंने कहा, हमें लगता है कि सरकार की ये शरारत है, ये सुप्रीम के जरिए कमिटी लेकर आए हैं। कमिटी के सारे सदस्य सरकार को सही ठहराते रहे हैं। ये लोग प्रेस में आर्टिकल लिखकर कानूनों को सही ठहराते रहे हैं, तो ऐसी कमेटी के सामने क्या बोलें। हमारा ये आंदोलन चलता रहेगा।
26 जनवरी को क्या करेंगे किसान?
राजेवाल ने कहा, हमारा 26 जनवरी का प्रोग्राम पूरी तरह शांतिपूर्ण होगा, जिस तरह से भ्रम फैलाया जा रहा है जैसे किसी दुश्मन देश पर हमला करना हो, ऐसी गैर जिम्मेदार बातें संयुक्त किसान मोर्चा की नहीं हैं। हम 26 जनवरी के प्रोग्राम की रूपरेखा 15 जनवरी के बाद तय करेंगे।
वहीं, रमिंदर पटियाला ने कहा, 26 जनवरी को लेकर नोटिस जारी किया गया है। लेकिन हमारा प्रोग्राम ऐतिहासिक होगा। कल को ये कमिटी के लोग बदल भी दें तो भी हम कमेटी के सामने नहीं जाएंगे । हमारा ये संघर्ष अनिश्चितकालीन है। हम शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन चलाते रहेंगे। 26 जनवरी का मार्च ऐतिहासिक होगा।
कांग्रेस ने भी उठाए सवाल
वहीं, कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने आज किसानों से बातचीत के लिए 4 सदस्यों की कमेटी बनाई है। कमेटी में शामिल 4 लोगों ने सार्वजनिक तौर पर पहले से ही निर्णय कर रखा है कि ये काले कानून सही हैं और कह दिया है कि किसान भटके हुए हैं। ऐसी कमेटी किसानों के साथ न्याय कैसे करेगी?