सार
राहुल गांधी के अमेरिका दौरे के दौरान दिए गए आरक्षण संबंधी बयान से विवाद खड़ा हो गया है। इस लेख में हम कांग्रेस के आरक्षण विरोधी इतिहास और भारत में जाति-आधारित असमानता की वर्तमान स्थिति पर प्रकाश डालते हैं।
नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अमेरिका की यात्रा के दौरान भारत में आरक्षण को लेकर ऐसे बयान दिए हैं जिससे विवाद खड़ा हो गया है। संविधान में आरक्षण की व्यवस्था वंचित दबके को आगे बढ़ने के मौके देने के लिए की गई थी। आज नेता आरक्षण का इस्तेमाल अपनी राजनीति चमकाने के लिए कर रहे हैं।
राहुल गांधी से जब पूछा गया कि भारत में आरक्षण का क्या भविष्य है तो उन्होंने कहा, "भारत उचित स्थान होगा तब हम आरक्षण खत्म करने पर सोचेंगे।" उनके इस बयान से देश में सकारात्मक कार्रवाई के लिए खतरा पैदा हो गया है। इस मुद्दे पर बहस हो रही है।
सकारात्मक पहल का विरोध करती रही है कांग्रेस
कांग्रेस का इतिहास सकारात्मक पहलों के विरोध का रहा है। ऐसा देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के जमाने से चला आ रहा है। नेहरू भी सकारात्मक कार्रवाई लागू करने से झिझकते थे। उन्हें अपने वोट बैंक का डर सताता था।
इंदिरा गांधी कांग्रेस की ताकतवर नेता थीं। उनके समय भी आरक्षण नीतियों का विरोध किया गया। राहुल गांधी के पिता और पूर्व पीएम राजीव गांधी ने तो OBC को मूर्ख तक कह दिया था। उनके इस बयान से पिछड़े समाज के लोग आक्रोशित हो गए थे।
कांग्रेस के आरक्षण विरोधी इतिहास के चलते लोग उसकी SC/ST और OBC को सही मायने में आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता पर सवाल उठाते हैं। राहुल गांधी के नए बयान से फिर एक बार सवाल उठ रहे हैं कि कांग्रेस को सत्ता में आने का मौका मिला तो यह आरक्षण नीतियों को खत्म या कमजोर कर सकती है।
भारत में सच्चाई है जाति-आधारित असमानता
आजादी के बाद से अब तक भारत काफी बदला है। OBC SC/ST समाज के लोग आगे आए हैं, लेकिन एक सच्चाई यह भी है कि अभी भी देश में जाति आधारित असमानता है। आरक्षण से वंचित तबके को शिक्षा और रोजगार के अवसर मिलते हैं। देश में आज भी आरक्षण की जरूरत उतनी है जितनी इसे लागू करते समय थी। भारत अभी आरक्षण खत्म करने के लिए उचित स्थान बनने से बहुत दूर है। इसके लिए सामाजिक असमानता दूर करनी होगी।
वर्तमान समय में सकारात्मक कार्रवाई सिर्फ पिछड़ों के सशक्तिकरण का उपकरण नहीं है। यह ऐतिहासिक गलतियों को सुधारने की जरूरत है। केंद्र की भाजपा सरकार देश में समानता लाने के लिए कई नीतियों और योजनाओं पर काम कर रही है।
चिंताजनक है कांग्रेस का पिछला रिकॉर्ड
आरक्षण को लेकर कांग्रेस का पिछला रिकॉर्ड चिंताजनक है। कांग्रेस ने पहले भी ऐसे काम किए हैं जिनसे एससी, एसटी और ओबीसी को नुकसान हुआ है। कांग्रेस ने दिसंबर 2005 में अल्पसंख्यक संस्थानों को आरक्षण की व्यवस्था लागू नहीं करने की छूट दी। इसके चलते इन संस्थानों में एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग के छात्रों को आरक्षण के आधार पर प्रवेश मिलना मुश्किल हो गया।
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