सार
Corona Virus के नए वैरिएंट ओमीक्रोन(Omicron) की एंट्री से बिजनेस पर फिर से संकट के बादल मंडराने लगे हैं। गुजरात के हीरा कारोबारी चिंतत हैं, क्योंकि 70 प्रतिशत कच्चा माल अफ्रीकी देशों से आता है। अफ्रीका में हीरे की बहुत खदाने हैं।
नई दिल्ली. दुनिया में एक नई दहशत फैलाने वाले Corona Virus के नए वैरिएंट ओमीक्रोन (Omicron) को लेकर अभी भी कई महत्वपूर्ण बातें बाहर आना बाकी हैं, लेकिन सतर्कता के चलते अफ्रीकी देशों के ट्रैवल बैन ने गुजरात के हीरा कारोबारियों को टेंशन में ला दिया है। उनका कहना है कि इसका सीधा असर उनके कारोबार पर होगा। न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत में एक हीरा कारोबारी निलेश बोडके ने बताया, "सूरत की डायमंड इंडस्ट्री अफ्रीका के साथ 60-70% जुड़ी हुई है। कच्चा माल अफ्रीका और रशिया से आता है।"
दुनिया में मशहूर हैं अफ्रीका की हीरा खदानें
बता दें कि दक्षिण अफ्रीका (South Africa) अपनी हीरों की खदानों के लिए दुनियाभर में जाना जाता है। यहां हीरे के अलावा सोने और कोयले की कई खदानें हैं। यहां दुनिया के सबसे बड़े हीरे मिलते रहे हैं। जैसे- दक्षिण अफ्रीका के प्रिटोरिया की एक हीरा खदान (Diamonds Mine) से जनवरी, 1905 में 3,106 कैरेट का हीरा मिला था। यह दुनिया का सबसे बड़ा हीरा माना जाता है। इसका वजन 1.33 पाउंड (0.6 किलोग्राम) था। इसे ‘कलिनन’ (Cullinan) नाम दिया गया।
ओमिक्रॉन वैरिएंट को लेकर देशों में विवाद की स्थिति भी है। अफ्रीकी और पश्चिमी देशों इसके लिए एक-दूसरे पर इल्जाम लगा रहे हैं। अफ्रीकी देश मलावी के राष्ट्रपति लजारुस चकवेरा ने अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय देशों पर एफ्रोफोबिया(अफ्रीकी-विरोधी भावना और अफ्रीकी NRI के प्रति घृणा) से पीड़ित होने का आरोप लगाया है। दरअसल, चकवेरा साउथ अफ्रीकी देशों पर लगाए गए ट्रैवल बैन से गुस्से में हैं। उनका तर्क है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट को लेकर साइंस के हिसाब से फैसले हो रहे हैं। चकवेरा ने 29 नवंबर को एक फेसबुक पोस्ट के जरिये यह बात कही। उनका तर्क है कि साउथ अफ्रीकी वैज्ञानिकों ने सबसे पहले ओमिक्रॉन वैरिएंट खोजा है। इसके लिए दुनिया को थैंक्स बोलना चाहिए। अमेरिका, यूरोप, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया ने ट्रैवल बैन लगा रहे हैं।
साउथ अफ्रीका बार-बार कह रहा कि घबराएं नहीं
साउथ अफ्रीका बार-बार दुनिया से निवेदन कर रहा है कि घबराए नहीं। साउथ अफ्रीका मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉक्टर एंजेलिक कोएट्जी ने बताया कि इस वक्त हम साउथ अफ्रीका में जो देख रहे हैं वह बेहद हल्का है। यह पूछे जाने पर कि क्या ब्रिटेन अनावश्यक रूप से घबरा रहा है। उन्होंने कहा कि मैं हां कहूंगी। उन्होंने कहा, घबराने की जरूरत नहीं है। दो हफ्ते बाद शायद कुछ अलग जानकारी मिले। लेकिन शुरुआती लक्षणों में इतना ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है। डॉक्टर कोएट्जी ने यह भी बताया कि ओमीक्रोन के मरीज घर पर हैं। दो से तीन दिनों के भीतर वे ठीक हो जा रहे हैं।
इधर, अमेरिका की वैक्सीन निर्माता कंपनी मॉडर्ना का कहना है कि वो 2-3 महीने में ओमिक्रॉन वैरिएंट के लिए स्पेशल वैक्सीन (ओमिक्रॉन स्पेसेफिक) तैयार कर लेगी। ओमीक्रोन वेरिएंट कितना संक्रामक है, किस स्तर तक यह खतरनाक है या कौन-कौन सी परेशानियां यह उत्पन्न कर सकता। इसको लेकर अभी जानकारियां सामने आने में कम से कम दो सप्ताह का समय लगेगा। अमेरिका के चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ.एंथोनी फॉसी (Dr.Anthony Fauci) ने आशा जताई है कि आने वाले महीने में वायरस के नए वेरिएंट के बारे में काफी कुछ दुनिया जान सकेगी।
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