सार
इसरो के पहले सूर्य मिशन आदित्य-एल1 (Aditya-L1) की लॉन्चिंग के लिए आज काउंटडाउन शुरू होगा। इसे शनिवार को 11.50 बजे अंतरिक्ष में भेजा जाएगा।
श्रीहरिकोटा। आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित इसरो के स्पेस सेंटर में भारत के पहले सूर्य मिशन को लॉन्च किया गया है। लॉन्चिंग से पहले इसरो के वैज्ञानिकों की टीम तिरुपति पहुंची। वैज्ञानिकों ने पूजा कर सफल लॉन्चिंग की कामना की। आदित्य एल1 को सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंज बिंदु L1 में स्थापित किया जाएगा। यह धरती से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर है।
आदित्य एल1 को लैग्रेंज बिंदु तक जाने में लगेंगे 4 महीने
आदित्य एल1 को अपनी कक्षा (लैग्रेंज बिंदु) तक जाने में करीब चार महीने लगेंगे। लैग्रेंज बिंदु बेहद खास जगह है। यहां स्थापित होने से आदित्य एल1 बिना किसी बाधा के सूर्य का अध्ययन कर पाएगा। आदित्य एल1 मिशन का उद्देश्य सौर हवाओं और सूर्य के वातावरण का अध्ययन करना है। यह रिसर्च के लिए अपने साथ बेहद खास सात उपकरण ले जा रहा है।
PSLV C57 से लॉन्च हुआ आदित्य एल1
आदित्य एल1 से मिलने वाली जानकारियों से कोरोनल हीटिंग, कोरोनल मास इजेक्शन, प्री-फ्लेयर और फ्लेयर गतिविधियों और सूर्य के मौसम को समझने में मदद मिलेगी। आदित्य एल1 को इसरो के सबसे भरोसेमंद रॉकेट PSLV C57 से लॉन्च किया गया। इसरो द्वारा आदित्य एल1 की लॉन्चिंग को लाइव प्रसारित किया गया। इसे इसरो के वेबसाइट और यूट्यूब चैनल पर देखा गया।
लैग्रेंज प्वाइंट 1 क्या है?
बता दें कि लैग्रेंजियन बिंदु अंतरिक्ष में वे जगह हैं जहां सूर्य और पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल इस तरह काम करते हैं कि वे एक दूसरे को संतुलित करते हैं। इस जगह पर अगर किसी अंतरिक्ष यान को भेजा जाता है तो वह बिना अधिक ऊर्जा खर्च किए लंबे समय तक मंडरा सकता है। सूर्य के अध्ययन के लिए L1 बिंदु को सभी पांच लैग्रेंजियन बिंदुओं में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इन बिंदुओं की खोज गणितज्ञ जोसेफ लुईस लैग्रेंज ने की थी।
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इसरो ने बताया है कि एल 1 बिंदु के चारों ओर हेलो कक्षा में रखे गए उपग्रह को बिना किसी ग्रहण के लगातार सूर्य को देखने का लाभ मिलता है। इससे रियल टाइम में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर उनके प्रभाव को देखा जा सकता है।