सार

मृतक के वीर्यदान के संबंध में कानूनी स्पष्टता के अभाव में अस्पताल अधिकारियों ने माता-पिता के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था।

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक मृत व्यक्ति के वीर्य को उसके माता-पिता को सौंपने का आदेश दिया है। कैंसर से पीड़ित युवक के पिता ने यह मांग करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था। मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने दिल्ली के गंगाराम अस्पताल को वीर्य सौंपने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि मृत्यु के बाद बच्चे पैदा करने के मामले में भारतीय कानून में कोई रोक नहीं है।

दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस प्रतिभा एम सिंह ने मामले में फैसला सुनाया। कैंसर से पीड़ित अपने बेटे के वीर्य को अस्पताल में सुरक्षित रखे जाने और उसे सौंपे जाने की मांग को लेकर पिता ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने कहा कि वह अपने बेटे के बच्चे की परवरिश करना चाहते हैं। मृत्यु के बाद प्रजनन पर कोई कानूनी रोक नहीं होने का हवाला देते हुए अदालत ने अस्पताल को वीर्य सौंपने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि बच्चों का पालन-पोषण उनके दादा-दादी द्वारा किया जाना सामान्य बात है।

अदालत ने यह शर्त रखी है कि वीर्य का इस्तेमाल व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए नहीं किया जाना चाहिए। आईवीएफ उपचार के लिए युवक के वीर्य को अस्पताल में फ्रीज करके रखा गया था। सितंबर 2020 में युवक की कैंसर से मौत हो गई थी। इसके बाद माता-पिता ने वीर्य सौंपने के लिए अस्पताल से संपर्क किया, लेकिन कानूनी स्पष्टता नहीं होने के कारण अस्पताल ने सरकार या अदालत से निर्देश की मांग की। इसके बाद मामला अदालत में पहुंचा।