सार

मंड्या के हनाकेरे गाँव में दलितों ने नवनिर्मित कालभैरवेश्वर मंदिर में प्रवेश किया, जिसका सवर्णों ने विरोध किया और मंदिर के नामफलक को तोड़ दिया। पुलिस सुरक्षा में दलितों ने पूजा की, जिसके बाद सवर्णों ने मंदिर में प्रवेश न करने का संकल्प लिया।

मंड्या: तालुक के हनाकेरे गाँव में दो साल पहले ही नवनिर्मित श्री कालभैरवेश्वर स्वामी मंदिर में सवर्णों के विरोध के बावजूद अधिकारियों और पुलिस की सुरक्षा में दलितों ने प्रवेश किया और पूजा अर्चना की। दलितों के मंदिर प्रवेश पर गाँव के सवर्णों ने गहरा रोष व्यक्त किया और मंदिर में घुसकर मंदिर उद्घाटन समारोह के नामफलक के पत्थर को मंदिर के सामने तोड़ दिया। उन्होंने कहा कि मंदिर वे अपने पास रख लें, हम भगवान को ले जाएँगे और उत्सव मूर्ति को बाहर लाए।

सभी ने मजदूरी करके कमाया हुआ पैसा देकर मंदिर निर्माण करवाया है। पहले से ही वे मंदिर में प्रवेश नहीं करते थे। गाँव में रहने वाले दो समूहों के दलितों की पूजा के लिए श्री चिक्कम्मा और श्री मंचम्मा देवी का मंदिर बनवाया गया है। अब अचानक श्री कालभैरवेश्वर स्वामी मंदिर में प्रवेश करके हमारी परंपरा कैसे तोड़ सकते हैं, यह सवाल उन्होंने तहसीलदार, समाज कल्याण विभाग और पुलिस अधिकारियों से पूछा।

इस पर तहसीलदार शिवकुमार बिरादार ने कहा कि यह मुजरई विभाग का मंदिर है। इस मंदिर में सभी जाति, धर्म, संप्रदाय के लोगों के प्रवेश की खुली अनुमति है। कोई भी इसे नहीं रोक सकता। अगर कोई रोकता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। अंततः सवर्णों के विरोध के बावजूद पूजा करने आए दलितों को पुलिस सुरक्षा में मंदिर के अंदर ले जाकर पूजा करने का मौका दिया गया।

एक महीने से मंदिर प्रवेश का प्रयास: पिछले एक महीने से हनाकेरे के श्री कालभैरवेश्वर स्वामी मंदिर में प्रवेश के लिए दलित प्रयास कर रहे थे। लेकिन सवर्ण उन्हें अनुमति नहीं दे रहे थे। पहले से ही दलितों के मंदिर प्रवेश पर रोक थी। इसे मत तोड़ो। आपको जो मंदिर बनवा कर दिया गया है, उसी में पूजा करो, ऐसा कहा गया था। फिर भी सवर्णों की बात न मानकर श्री कालभैरवेश्वर की पूजा करने पर दलित अड़े रहे। पूर्व विधायक एम. श्रीनिवास की उपस्थिति में दो-तीन बार शांति बैठक हुई, लेकिन सवर्ण दलितों के प्रवेश के लिए नहीं माने।

शनिवार से तनावपूर्ण माहौल: शनिवार शाम को भी मंदिर में प्रवेश करने के लिए आगे बढ़े दलितों को सवर्णों ने रोक दिया था। यह धार्मिक दत्ती विभाग का मंदिर है। कोई भी मंदिर में प्रवेश कर सकता है। इसलिए दलितों के प्रवेश की अनुमति देने की जिद की गई। लेकिन सवर्णों के न मानने से गाँव में तनावपूर्ण स्थिति बन गई थी। एहतियात के तौर पर शनिवार रात से ही गाँव में जिला सशस्त्र रिजर्व पुलिस बल के साथ पुलिस बंदोबस्त कर दिया गया था।

रविवार को फिर से दलितों का एक समूह मंदिर में प्रवेश करने के लिए आगे बढ़ा। पूर्व विधायक एम. श्रीनिवास ने मंदिर समिति के सदस्यों के साथ बातचीत करने के लिए बुलाया, लेकिन कोई नहीं आया। दलितों के प्रवेश को हम स्वीकार नहीं करेंगे। आप ही उन्हें समझाकर वहाँ से भेज दें, ऐसा मंदिर समिति के लोगों ने विधायक को बताया। अगर उन्हें एक बार प्रवेश दे दिया तो मंदिर की चाबी आप ही रख लीजिए। हम खुद मंदिर में प्रवेश नहीं करेंगे, ऐसा सवर्णों ने साफ कह दिया।

पहली बार पूजा: सवर्णों के विरोध को दरकिनार करते हुए पूर्व विधायक एम. श्रीनिवास, तहसीलदार, समाज कल्याण विभाग और पुलिस अधिकारियों ने दलितों को मंदिर में प्रवेश कराया। श्री कालभैरवेश्वर स्वामी की दलितों ने पहली बार पूजा की। दलितों के मंदिर प्रवेश से नाराज सवर्णों ने अब हम मंदिर में प्रवेश नहीं करेंगे, ऐसा संकल्प लिया। मंदिर के बाहर सवर्ण पुरुष-महिलाएँ समूह में इकट्ठा होकर नाराजगी जता रहे थे।

पुलिस बंदोबस्त: एहतियात के तौर पर गाँव में पुलिस का कड़ा बंदोबस्त किया गया है। दोपहर बाद मंदिर के प्रवेश द्वार को बंद कर दिया गया है और सुरक्षा के लिए पुलिस तैनात की गई है, फिर भी स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है।