सार
वायु प्रदूषण (Air Pulution) के मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने एक बार फिर दिल्ली (Delhi) सरकार को फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा- आप प्रचार के सलोगनों पर ज्यादा खर्च कर रहे हैं। गौरतलब है कि दिल्ली सरकार ने विज्ञापनों पर तीन माह में 150 करोड़ रुपए खर्च किए, जबकि वायु प्रदूषण के लिए सिर्फ 124 करोड़ का बजट रखा है।
नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली (Delhi)में बढ़ते वायु प्रदूषण (Air Pollution) ने केजरीवाल (Kejriwal) सरकार को कठघरे में लाकर खड़ा कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर कड़े कदम न उठाने पर सरकार पर नाराजगी जताते हुए कहा है कि आप अपने प्रचार स्लोगनों पर ज्यादा पैसे खर्च कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट की बात सही भी है। अप्रैल में एक आरटीआई के तहत एक जानकारी में सामने आया था कि इस साल (2021) दिल्ली सरकार ने तीन महीने में विज्ञापनों (advertisement) पर 150 करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए, जबकि 2021-22 में वायु प्रदूषण से निपटने सरकार ने महज 124.8 करोड़ का बजट रखा है। यानी, विज्ञापन पर हर दिन 1.67 करोड़ और वायु प्रदूषण पर सिर्फ 34 लाख रुपए का खर्च। 2020-21 में तो केजरीवाल सरकार ने इससे भी तीन गुना कम 52 करोड़ का ही बजट वायु प्रदूषण से निपटने के लिए रखा था। केजरीवाल सरकार कोविड की दूसरी लहर के दौरान भी विज्ञापनों पर बेहताशा खर्च को लेकर घिरी थी। ऑक्सीजन संकट के बीच दिल्ली के अस्पताल कोर्ट पहुंचे तो केजरीवाल सरकार ने ऑक्सीजन और टैंकर संकट का बहाना बनाया। इसे लेकर कोर्ट ने उसे जमकर फटकार लगाई थी।
हर दिन औसतन 1.75 करोड़ विज्ञापनों पर खर्च :
जनवरी 2021 से लेकर मार्चा 2021 तक तीन महीने में केजरीवाल सरकार ने औसतन हर दिन अपने प्रचार के लिए औसतन 1.67 करोड़ रुपए खर्च किए। आरोप लगते रहे हैं कि पिछले दो साल में केजरीवाल सरकार अपने प्रचार-प्रसार पर 800 करोड़ रुपए से अधिक खर्च कर चुकी है, हालांकि सरकार ने 2020 में एक आरटीआई में बताया था कि तीन साल के लिए उसने प्रचार प्रसार पर 590 करोड़ का मद रखा था, जबकि खर्च महज 207 करोड़ किया। यह कुल आवंटित राशि का 35 प्रतिशत है।
इस साल कितना खर्च
जनवरी 2021 32.52 करोड़ रुपए
फरवरी 2021 25.33 करोड़ रुपए
मार्च 2021 92.48 करोड़ रुपए
कुल 150.33 करोड़ रुपए
अप्रैल में सामने आई आरटीआई की जानकारी
दूसरों के पाले में गेंद डाली तो ऑडिट कराएंगे, आप प्रचार पर ज्यादा खर्च कर रहे
सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) में सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान केजरीवाल (Kejriwal) सरकार ने कहा कि वह एयर क्वालिटी (Air Quality) ठीक करने पूर्ण लॉकडाडन लगाने के लिए तैयार है, लेकिन इसे एनसीआर (NCR) में भी लागू किया जाता है, तभी कारगर होगा। सरकार ने इस दौरान एक हलफनामा भी कोर्ट में पेश किया, इस पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई। शीर्ष अदालत ने कहा कि हमें हलफनामा नहीं, कठोर कदमों के बारे में बताएं, वर्ना हम आपके राजस्व का ऑडिट कराएंगे, क्योंकि आप प्रचार पर होने वाले स्लोगनों पर बहुत अधिक खर्च कर रहे हैं। पढ़ें, किसने क्या कहा...
राहुल मेहरा (दिल्ली सरकार के पक्षकार) : हमने प्रदूषण को लेकर अपना हलफनामा दाखिल किया है।
जस्टिस एनवी रमण (CJI) : हलफनामे को भूल जाएं। आपने क्या कड़े उपाय किए हैं, वो बताएं।
राहुल मेहरा : प्रदूषण को लेकर म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (municipal corporations)द्वारा कुछ उपाय किए गए हैं।
सीजेआई : क्या आप पूरा दोष निगमों पर मढ़ना चाह रहे हैं। क्या आप गेंद दूसरों के पाले में उछालने की कोशिश कर रहे हैं।
जस्टिस सूर्य कांत : यदि आप ऐसा कह रहे हैं तो हम आपके राजस्व का ऑडिट करने का आदेश देंगे। आप प्रचार स्लोगनों पर बहुत अधिक खर्च कर रहे हैं।
दिल्ली की हवा अभी भी बहुत गंभीर
दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) सोमवार को लगातार दूसरे दिन बहुत खराब श्रेणी में रही। यहां AQI 342 दर्ज किया गया। 301 से 400 तक एयर क्वालिटी इंडेक्स बहुत खराब श्रेणी में माना जाता है। हालांकि, रविवार को दिल्ली की एयर क्वालिटी थोड़ा सुधार दिखा था, लेकिन यह बहुत खराब श्रेणी में ही थी। राष्ट्रीय राजधानी में रविवार को 24 घंटे का औसत AQI 330 दर्ज किया गया था, जो शनिवार को 473 था। यह सुधार हरियाणा और पंजाब में खेतों में पराली जलाए जाने के मामले काफी कम होने पर देखा गया था।
50 तक AQI ही अच्छी
0-50 अच्छा
50-100 संतोषजनक
101-200 मध्यम
201-300 खराब
301-400 बहुत खराब
104-500 गंभीर
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