दिल्ली ब्लास्ट के मास्टरमाइंड डॉ. उमर का एक अनदेखा वीडियो सामने आया है, जिसमें वह आत्मघाती हमले को सही ठहराते दिखता है। एनआईए ने उसके सहयोगियों, 2,900 किलो विस्फोटक और तीन राज्यों में फैले उसके कट्टरपंथी नेटवर्क का खुलासा किया है।

नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली में 10 नवंबर को लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए कार बम विस्फोट को लेकर अब जांच तेज हो चुकी है। इस धमाके में 15 लोगों की जान चली गई थी। इसी बीच एक ऐसा वीडियो सामने आया है जिसने जांच एजेंसियों की चिंता और बढ़ा दी है। यह वीडियो सोशल मिडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें दिल्ली विस्फोट के मास्टरमाइंड बताए जा रहे डॉ. उमर नबी को “आत्मघाती बम विस्फोट की गलत समझी गई अवधारणा” पर खुलकर बात करते सुना जा सकता है। बताया जा रहा है कि यह वीडियो धमाके से पहले रिकॉर्ड किया गया था और इसमें उमर की सोच, तैयारी और कट्टरपंथी विचार साफ नजर आते हैं।

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आखिर इस वीडियो में डॉ. उमर क्या कह रहा था? क्यों बढ़ी जांच टीम की टेंशन?

वीडियो में डॉ. उमर कहता है कि “आत्मघाती हमला सबसे ज्यादा गलत समझा जाने वाला ऑपरेशन है। इसे एक शहादत मिशन माना जाना चाहिए।” वह आगे यह भी कहता है कि “जब कोई व्यक्ति यह मान लेता है कि उसकी मौत एक निश्चित समय और जगह पर तय है, तभी एक ‘शहादत अभियान’ शुरू होता है।” उसके ये बयान साफ दिखाते हैं कि वह लंबे समय से चरमपंथी विचारधारा से प्रभावित था और हमले को एक “धार्मिक कर्तव्य” की तरह देखने लगा था। जांच एजेंसियों के मुताबिक, इस वीडियो ने यह साबित कर दिया कि उमर न सिर्फ हमले की प्लानिंग में शामिल था बल्कि पूरी तरह कट्टरपंथी मानसिकता अपना चुका था।

क्या दिल्ली विस्फोट पहले से प्लान था? कौन-कौन शामिल था इस नेटवर्क में?

  • इस हमले को लेकर एनआईए ने पिछले कुछ दिनों में कई बड़े खुलासे किए हैं।
  • यह पुष्टि हो चुकी है कि धमाके वाली हुंडई i20 कार खुद डॉ. उमर चला रहा था।
  • कार में वीबीआईईडी (Vehicle-Borne IED) लगाया गया था।
  • धमाका हरियाणा के फरीदाबाद में 2,900 किलो विस्फोटक पकड़ने के कुछ घंटों बाद हुआ था।
  • यह पूरा मामला एक सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल से जुड़ा बताया जा रहा है।

NIA अब तक उमर के दो सहयोगियों को कर चुकी है गिरफ्तार

एनआईए ने उमर के दो सहयोगियों- जसीर बिलाल वानी और आमिर राशिद अली को भी गिरफ्तार किया है। जसीर ड्रोन और रॉकेट में बदलाव कर आतंकी हमले की तकनीकी मदद देता था, जबकि आमिर ने सुरक्षित ठिकाना और लॉजिस्टिक सपोर्ट मुहैया कराया था। विस्फोटक से भरी कार भी आमिर के नाम पर रजिस्टर्ड थी।

क्या परिवार को पहले से शक था? माँ के बयान ने जांच को क्यों चौंकाया?

जांच में यह भी सामने आया कि उमर की मां को लंबे समय से उसके बदलते व्यवहार का संदेह था। वह कई दिनों तक घरवालों से संपर्क नहीं करता था और हमले से पहले उसने साफ कहा था कि “मुझे फोन मत करना।” इसके बावजूद परिवार ने कभी पुलिस में शिकायत नहीं की। उमर पुलवामा का रहने वाला था और फरीदाबाद के अल फलाह यूनिवर्सिटी में डॉक्टर के रूप में काम करता था। वह गुप्त रूप से जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े एक मॉड्यूल के संपर्क में था।

दिल्ली विस्फोट: क्या बच सकती थीं 15 जानें? क्या यह एक बड़े हमले की शुरुआत थी?

अधिकारियों का कहना है कि अगर विस्फोटक की बड़ी खेप पहले न पकड़ी जाती, तो यह हमला और भी बड़ा हो सकता था। 2,900 किलो विस्फोटक की बरामदगी बताती है कि मॉड्यूल लंबे समय से किसी बड़े सीरियल ब्लास्ट या हाई-वैल्यू टारगेट की तैयारी में था। यह वीडियो, गिरफ्तारियाँ और लगातार सामने आ रहे सबूत यह दिखाते हैं कि दिल्ली विस्फोट कोई अचानक की गई घटना नहीं बल्कि एक लंबे समय से चल रही प्लानिंग का हिस्सा था।