Saudi Bus Accident Indians: सऊदी बस हादसे में 45 भारतीयों के शव भारत क्यों नहीं लौटेंगे? क्या शवों की पहचान असंभव हो चुकी है या धार्मिक नियम आड़े आ रहे हैं? मुआवजे पर भी बड़ा सवाल—परिवार किस पर उम्मीद टिकाएं?
नई दिल्ली। सऊदी अरब के मक्का-मदीना हाईवे बस एक्सीडेंट (Mecca–Medina Highway Bus Accident) ने पूरे भारत को झकझोर दिया है। इस दुर्घटना में 45 भारतीय नागरिकों की मौत हो गई। लेकिन हादसे के बाद सबसे बड़ा सवाल यही है-सऊदी सरकार भारतीय नागरिकों के शव भारत भेजने से क्यों मना कर रही है? आखिर कौन-से नियम और हालात ऐसी मजबूरी बना रहे हैं कि सभी शव सऊदी में ही दफनाए जाएंगे?
हादसा कैसे हुआ? बस किन हालात में थी?
रविवार देर रात उमरा यात्रियों की बस हाईवे किनारे खड़ी थी। तभी पीछे से आया तेज रफ्तार फ्यूल टैंकर बस में इतनी जबरदस्त टक्कर मारता है कि पल भर में आग भड़क उठती है। कई यात्री सो रहे थे, किसी को कुछ समझने का मौका ही नहीं मिला। यह हादसा मदीना से 25 किलोमीटर दूर मुहरास इलाके के पास हुआ। मरने वालों में 18 महिलाएं, 17 पुरुष, 10 बच्चे शामल हैं। सबसे दुखद बात यह है कि एक ही परिवार के 18 लोग मारे गए, जिनमें 9 बच्चे और 9 बड़े थे।
क्या सच में शवों को भारत लाना संभव नहीं?
सऊदी प्रशासन का कहना है कि मक्का–मदीना क्षेत्र में मुस्लिम तीर्थयात्रियों को वहीं दफनाने की धार्मिक और प्रशासनिक परंपरा है। लेकिन असली कारण सिर्फ यही नहीं है।
- 1. शवों की हालत बेहद गंभीर: अधिकांश शव इतने बुरी तरह जल चुके हैं कि उनकी पहचान कर पाना लगभग असंभव है। सऊदी स्वास्थ्य नियमों के अनुसार अत्यधिक जले हुए शवों को दूसरे देश भेजना जोखिम माना जाता है।
- 2. फॉरेंसिक पहचान मुश्किल: भारतीय दूतावास के मुताबिक, कई शवों की पहचान अब तक नहीं हो पाई है। DNA सैंपल भी मदद नहीं कर पा रहे।
- 3. धार्मिक परंपरा + प्रशासनिक निर्देश: मक्का-मदीना क्षेत्र में दुनिया भर के हजारों तीर्थयात्रियों की मौत हर साल होती है, और उन्हें वहीं दफनाना आम प्रक्रिया है।
क्या परिवारों को मुआवजा मिलेगा?
यह सवाल हर परिवार पूछ रहा है। लेकिन सऊदी कानून बेहद सख्त है-
- सऊदी सरकार सड़क दुर्घटनाओं में कोई सीधा मुआवजा नहीं देती।
- मुआवजा तभी मिलेगा जब जांच में साबित हो कि टैंकर ड्राइवर या कंपनी ने गलती की थी।
- जांच का यह प्रोसेस महीनों-कभी-कभी सालों तक खिंच सकता है।
- इसलिए तुरंत आर्थिक सहायता की उम्मीद बेहद कम है।
- तेलंगाना सरकार ने फिलहाल 5-5 लाख रुपये की सहायता का ऐलान किया है।
हैदराबाद के 18 लोग एक ही परिवार से थे?
सबसे दर्दनाक बात यह है कि मरने वालों में से 18 लोग एक ही परिवार के थे, जिनमें 9 बच्चे और 9 बड़े शामिल थे। ये सभी 22 नवंबर को भारत लौटने वाले थे। बस में कुल 46 लोग सवार थे, जिनमें से सिर्फ 1 शख्स-24 वर्षीय मोहम्मद अब्दुल शोएब जिंदा बच पाए। वो ड्राइवर के बगल में बैठे थे और तुरंत बाहर निकल सके।
क्या शव भारत लाए जा सकते हैं?
हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्र सरकार से शव भारत लाने की अपील की है। प्रधानमंत्री मोदी और विदेश मंत्री जयशंकर ने दुख जताते हुए कहा कि भारतीय दूतावास सऊदी प्रशासन के साथ लगातार संपर्क में है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि चूंकि मौत मक्का–मदीना ज़ोन में हुई है और शव अत्यधिक जल चुके हैं, इसलिए भारत लाए जाने की संभावना बेहद कम है।
उमरा क्या है?
उमरा मक्का-मदीना की एक धार्मिक यात्रा है। इसे साल के किसी भी दिन किया जा सकता है और यह हज की तरह अनिवार्य नहीं है।
