सार
अदालत को बताया गया कि याचिकाकर्ता और उसका परिवार दक्षिणी दिल्ली में एक झुग्गी बस्ती में रहता है और उसके पति के नाम से 2005 में जारी राशन कार्ड को 2013 में अधिकारियों ने एकतरफा रद्द कर दिया था।
नई दिल्ली। एक दिहाड़ी मजदूर का राशन कार्ड रद्द करना दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार (Delhi Government) को भारी पड़ सकता है। हाईकोर्ट (Delhi High Court)ने दिल्ली सरकार से पूछा है कि एक दिहाड़ी मजदूर के राशन कार्ड (ration card) को जारी करने का फैसला आठ साल से क्यों नहीं लिया जा सका? कोर्ट ने केजरीवाल सरकार को नोटिस जारी किया है। मामले की अगली सुनवाई 25 अक्टूबर को होगी।
भोजन के अधिकार से रखा गया वंचित
दरअसल, वकील जयश्री सतपुते और तृप्ति पोद्दार के माध्यम से दायर याचिका में, याचिकाकर्ता ने कहा कि उसे और उसके परिवार को भोजन के अधिकार, स्वास्थ्य के अधिकार का उल्लंघन करते हुए, अधिकारियों की निष्क्रियता और अक्षमताओं के कारण सब्सिडी वाले खाद्यान्न के अधिकार से वंचित किया जा रहा है। जीवन के अधिकार की गारंटी संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत दी गई है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि सितंबर 2013 में राशन कार्ड के लिए आवेदन करने और बार-बार अभ्यावेदन देने के बावजूद अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई।
2013 से दौड़ लगा रही महिला
अदालत को बताया गया कि याचिकाकर्ता और उसका परिवार दक्षिणी दिल्ली में एक झुग्गी बस्ती में रहता है और उसके पति के नाम से 2005 में जारी राशन कार्ड को 2013 में अधिकारियों ने एकतरफा रद्द कर दिया था।
आठ साल एक राशन कार्ड को जारी करने में...
दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा है कि एक दिहाड़ी मजदूर द्वारा राशन कार्ड जारी करने का आवेदन आठ साल से लंबित क्यों है। न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने अपने परिवार के सभी सदस्यों के नाम के साथ समयबद्ध तरीके से राशन कार्ड मांगने वाली कार्यकर्ता की याचिका पर नोटिस जारी किया और दिल्ली सरकार के वकील को निर्देश प्राप्त करने का समय दिया।
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