सार
चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों की लंबी मांग पर फैसला करते हुए चुनाव खर्च की सीमा बढ़ा दी है। लोकसभा चुनाव में पहले प्रत्याशी द्वारा किए जाने वाले खर्च की सीमा 70 लाख रुपए थी। इसे बढ़ाकर 95 लाख कर दिया गया है।
नई दिल्ली। साल 2022 की शुरुआत में पांच राज्यों (उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर) में चुनाव होने वाले हैं। इन राज्यों के चुनावों की तारीखों की घोषणा चुनाव आयोग (Election commission) द्वारा जल्द की जा सकती है। इस बीच चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों की लंबी मांग पर फैसला करते हुए चुनाव खर्च की सीमा बढ़ा दी है। अब प्रत्याशी चुनाव में पहले की अपेक्षा 25 लाख रुपए तक अधिक खर्च कर पाएंगे।
लोकसभा चुनाव में पहले प्रत्याशी द्वारा किए जाने वाले खर्च की सीमा 70 लाख रुपए थी। इसे बढ़ाकर 95 लाख कर दिया गया है। गोवा, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में लोकसभा चुनावों में प्रत्याशियों के खर्च की सीमा 54 लाख रुपए थी। अब प्रत्याशी यहां 75 लाख रुपए खर्च कर सकेंगे। वहीं, विधानसभा चुनाव में पहले प्रत्याशी के खर्च की सीमा 28 लाख रुपए थी। इसे बढ़ाकर 40 लाख रुपए कर दिया गया है।
चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों की मांगों को देखते हुए चुनावी खर्च की सीमा में वृद्धि की है। 2014 के मुकाबले सभी राज्यों में मतदाताओं की संख्या बढ़ी है। इसके साथ ही मंहगाई भी बढ़ी है। इसे देखते हुए चुनाव आयोग ने यह फैसला लिया है। चुनाव आयोग ने इसके लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी गठित की थी। रिटायर्ड आईआरएस अधिकारी हरीश कुमार, चुनाव आयोग के सेक्रेटरी जनरल उमेश सिन्हा और वरिष्ठ उप आयुक्त चंद्र भूषण कुमार की समिति ने सभी राजनीतिक दलों, राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारी, ऑब्जर्वर्स सहित जनता से राय ली थी।
2014 में हुई थी खर्च सीमा में वृद्धि
समिति ने निष्कर्ष निकाला कि 2014 से 21 के बीच सात सालों में मतदाताओं की संख्या 12.23 फीसदी बढ़ी है। वहीं, महंगाई का ग्राफ यानी कॉस्ट इंफ्लेशन इंडेक्स भी 240 से बढ़कर 317 हो गया है। इसमें 32.08 फीसदी का इजाफा हुआ। इसे ध्यान में रखते हुए आयोग ने खर्च सीमा बढ़ाने की सिफारिश की थी, जिसपर चुनाव आयोग ने फैसला लिया।
आयोग ने इस संबंध में कानून मंत्रालय ने अधिसूचना जारी करने की सिफारिश की थी। मंत्रालय ने गुरुवार को चुनाव खर्च में बढ़ोत्तरी की सीमा को अधिसूचित कर दिया है। चुनाव खर्च की सीमा में की गई यह वृद्धि आने वाले दिनों में होने वाले सभी चुनावों में लागू होगी। आयोग ने 2014 में खर्च की सीमा को बढ़ाया था। 2020 में इसमें 10 फीसदी की वृद्धि की थी।
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