सार

सियासी गलियारों में परदे के पीछे बहुत कुछ घटता है- ओपिनियन, साजिश, सत्ता का खेल और राजनीतिक क्षेत्र में आंतरिक तकरार। पेश है 'फ्रॉम द इंडिया गेट' का 44वां एपिसोड, जो आपके लिए लाया है पॉलिटिक्स की दुनिया के कुछ ऐसे ही चटपटे और मजेदार किस्से।

From The India Gate: सियासी गलियारों में परदे के पीछे बहुत कुछ होता है- ओपिनियन, साजिश, सत्ता का खेल और राजनीतिक क्षेत्र में आंतरिक तकरार। एशियानेट न्यूज का व्यापक नेटवर्क जमीनी स्तर पर देश भर में राजनीति और नौकरशाही की नब्ज टटोलता है। अंदरखाने कई बार ऐसी चीजें निकलकर आती हैं, जो वाकई बेहद रोचक और मजेदार होती हैं। पेश है 'फ्रॉम द इंडिया गेट' (From The India Gate) का 44वां एपिसोड, जो आपके लिए लाया है, सत्ता के गलियारों से कुछ ऐसे ही मजेदार और रोचक किस्से।

56 का मुकाबला 56 से देखने को आतुर है राजस्थान की जनता

56 का मुकाबला 56 से। राजस्थान में यह सोशल मीडिया पर चल रहा है। दरअसल, 56 इंच का सीना हर कोई जानता है। वो कौन है, ये सभी को पता है। अब राजस्थान में 56 इंच के सीने की टक्कर कांग्रेस के बड़े नेता के 56 नंबर से कराने की तैयारी चल रही है। दरअसल, शुक्रवार को 3 और नये जिलों का गठन कर दिया गया। जिलों की संख्या बढ़कर 53 हो गई है। अब चर्चा है, 3 और जिलों के निर्माण को लेकर CM पर दबाव बन रहा है। अगर ऐसा हुआ तो जिलों की संख्या बढ़कर 56 हो जाएगी। सोशल मीडिया पर लोगों का कहना है- अब 56 का 56 से मुकाबला करा ही दो।

समय-समय की बातः अब तो मैडम के फोन तक नहीं उठा रहे जूनियर

भाजपा की एक दिग्गज महिला नेता इन दिनों परेशान हैं। बड़े आयोजनों में उनको बुलाया तो जाता है लेकिन सिर्फ खानापूर्ति के लिए। कभी उनके इशारे भर से बड़े-बड़े बदलाव हो जाया करते थे लेकिन अब जूनियर नेता तक उनको लिफ्ट नहीं दे रहे हैं। दरअसल, पिछले दिनों प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एक नेताजी का फोन बजा। मोबाइल पर महिला नेता का नाम शो हो रहा था। पहले ऐसा था कि मोबाइल की घंटी बजते ही फोन बाद में उठता था, पहले नेताजी खड़े हो जाते थे। अब नेता जी मैडम का कॉल देख फोन को साइलेंट मोड पर डाल देते हैं...एक-दो बार कॉल आने पर मोबाइल को स्विच ऑफ तक कर देते हैं।

कर्नाटक में CM vs डिप्टी CM..

कर्नाटक में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के बीच एक नई जंग छिड़ गई है। ये जंग बेहद दिलचस्प होती दिख रही है। दरअसल, सिद्धारमैया नए बार और शराब की दुकानें खुलने के खिलाफ हैं, जबकि डीके शिवकुमार ने हर एक गांव में एक बार खोलने का वादा किया है। शराब दुकाने खोलने और न खोलने के मतभेद के बीच कर्नाटक में एक अजीब नारा गूंज रहा है- 'हमें गटर चाहिए..।' दरअसल, ये 'मांग' अधिक BAR खोलने के शिवकुमार के वादे का उपहास उड़ाने के लिए है। लोग खासकर सिद्दारमैया के समर्थक ये संदेश देना चाहते हैं कि नए बार से शराब पीने के बाद लोग गटर में तो गिरेंगे ही।

From the india gate: इधर मिल रही गठबंधन छोड़ने की 'धमकी', तो उधर भीड़ देख छूटे नेताजी के ‘पसीने’

मिर्ची ने निकाला धुआं..

सार्वजनिक विरोध प्रदर्शनों के दौरान अक्सर देखा जाता है कि एक या दो राजनीतिक कार्यकर्ता कैमरामैन की आंखों के तारे बनते हैं। वे कुछ ऐसे स्टंट करते हैं कि मीडिया के कैमरों का फोकस पूरी तरह उन पर ही होता है। ऐसा ही कुछ इन महाशय ने किया है। दरअसल, नंगे पैर चलने से लेकर गोबर में स्नान करने या मिट्टी खाने तक, उन्होंने हमेशा कुछ न कुछ 'क्रिएटिव'किया है। हाल ही में कावेरी बंद के दौरान, उन्होंने एक और 'अनोखी' विरोध रणनीति का प्रयास किया। अपना विरोध दर्ज कराने के लिए इन्होंने तीखी मिर्च चबाने का फैसला किया। ऐसे में मजाक उड़ाने वाली भीड़ ने उन्हें और ज्यादा मिर्च खाने के लिए उकसाया। बस फिर क्या था, ये महाशय जोश-जोश में कई तीखी मिर्च चबा गए। लेकिन कुछ ही देर में उनके कानों से 'धुआं' उठने लगा। जोश में होश खोनेवाले इन महाशय की हालात इतनी खराब हो गई कि संभालना मुश्किल हो गया। तमाम दादी-नानी के घरेलू नुस्खे आजमाने के बाद भी जब तीखी मिर्च की गर्मी शांत नहीं हुई तो इन्हें आनन-फानन में अस्पताल ले जाना पड़ा।

अपनी ही पार्टी में बगावत..

भले ही वे बेदाग छवि वाले कुछ राजनीतिक नेताओं में से एक हैं। लेकिन CPM में आपसी खींचतान के चलते इन नेताजी को तवज्जो नहीं दी गई। केरल की पहली पिनाराई सरकार में PWD मंत्री के रूप में अच्छे ट्रैक रिकॉर्ड के बावजूद पिछले विधानसभा चुनावों के दौरान इन नेताजी को पूरी तरह साइडलाइन कर दिया गया। Asianet News को दिए एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में इन नेताजी ने खुलेआम कहा कि करिवन्नूर सहकारी बैंक घोटाले को शुरू में ही रोक पाना CPM की विफलता थी। उनका ये कमेंट ऐसे समय आया है, जब प्रवर्तन निदेशालय (ED) इस घोटाले में CPM के सीनियर लीडर्स से पूछताछ कर रहा है। वहीं, CPM के कुछ नेता तो पहले से ही कटघरे में हैं। हालांकि, CPM का कहना है कि ईडी जांच बदले की राजनीति का हिस्सा है। ऐसे में पार्टी के इन नेताजी ने संकेत दिया है कि जांच पूरी तरह तथ्यों के आधार पर है और ईडी को रोका नहीं जा सकता। इतना ही नहीं, उन्होंने सीनियर लीडर इलामारम करीम की भी आलोचना की। बता दें कि इलामारम करीम वही हैं, जिन्होंने पार्टी को बताया था कि पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान ये नेताजी पूरी तरह निष्क्रिय थे। ऐसे में अपने कार्यकाल के दौरान पीडब्ल्यूडी विभाग को अच्छी तरह चलाने के बावजूद CPM ने उन्हें चुनाव लड़ने के लिए टिकट देने से इनकार कर दिया था। CPM, जो अपने नियमों के खिलाफ जाने वाले किसी भी शख्स के खिलाफ कड़ा एक्शन लेने के लिए जानी जाती है, अब इन नेताजी के इस सरेआम दिए गए बयान पर क्या प्रतिक्रिया देगी, ये देखना भी दिलचस्प होगा।

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