सार

पूरे देश में आज धूमधाम से गणेश चतुर्थी मनाई जा रही है। हालांकि, कोरोना के चलते गणेश चतुर्थी की रौनक गायब है। जगह जगह लगने वाले सार्वजनिक पंडाल नजर नहीं आ रहे हैं। इस बार गणपति बप्पा सिर्फ घर में ही विराज रहे हैं। वहीं, मूर्ति बनाने वाले मूर्ति तो बना रहे हैं, लेकिन इस बार ऊंची मूर्ति को लेकर कोई होड़ नहीं रही।

मुंबई. पूरे देश में आज धूमधाम से गणेश चतुर्थी मनाई जा रही है। हालांकि, कोरोना के चलते गणेश चतुर्थी की रौनक गायब है। जगह जगह लगने वाले सार्वजनिक पंडाल नजर नहीं आ रहे हैं। इस बार गणपति बप्पा सिर्फ घर में ही विराज रहे हैं। वहीं, मूर्ति बनाने वाले मूर्ति तो बना रहे हैं, लेकिन इस बार ऊंची मूर्ति को लेकर कोई होड़ नहीं रही। सिर्फ घरों के लिए छोटी और मिट्टी की मूर्तियों की ही मांग रही। 

बृहन्मुंबई सार्वजनिक गणेशोत्सव समन्वय समिति के मुताबिक, हर साल मुंबई में 12 हजार से ज्यादा सार्वजनिक पंडाल लगाए जाते थे। इनमें से 2470 पंडाल रास्ते पर रहते हैं। करीब 2 लाख लोग अपने घरों पर गणपति रखते गैं। लेकिन इस बार ऐसा नहीं है, सिर्फ घरों पर ही लोग मूर्ति रख रहे हैं। 

अंधेरी चा राजा: इस बार सिर्फ चार फीट की मूर्ति होगी
मुंबई में अंधेरी चा राजा के पंडाल का खास आकर्षण रहता है। यह पंडाल बॉलीवुड सेलिब्रिटिज में भी काफी लोकप्रिय हैं। दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, इस बार यहां 4 फीट की मूर्ति रखी जाएगी। पिछले साल 9 फीट की मूर्ति रखी गई थी। इस बार मूर्ति विसर्जन के पास में ही आर्टिफिशियल तालाब बनाया गया है। यहां मूर्ति विसर्जन किया जाएगा। हर साल मूर्ति विसर्जन अंधेरी से 4 किमी दूर वर्सोवा में किया जाता था। इसमें करीब 2 लाख लोग शामिल होते थे। 

इसके अलावा पंडाल में सोशल डिस्टेंसिंग के चलते एक बार में सिर्फ एक ही व्यक्ति दर्शन करेगा। इसके अलावा मूर्ति के पैर भी नहीं छुए जा सकेंगे। सिर्फ दूर से ही दर्शन करने होंगे। पंडाल के पास ब्लड डोनेशन कैंप लगाया गया है। 


2019 में अंधेरी के राजा कुछ यूं विराजमान नजर आए थे।

कैसा होगा लालबाग के राजा का जलवा

हर साल की तरह ही इस बार भी लालबाग के राजा का पंडाल बनाया गया है। लेकिन इस बार मूर्ति सिर्फ 4 फीट की हो गई है। इसके अलावा यहां प्लाज्मा डोनेशन कैंप भी चलाया जा रहा है।  


पिछले साल लालबाग के राजा की 9 फीट ऊंची मूर्ति रखी गई थी। 
 

चिंचपोकली के चिंतामणि
पिछले 100 सालों से चिंचपोकली स्टेशन के पास 'चिंचपोकली के चिंतामणि' का पंडाल सजता है। इस बार यहां गणपति की मूर्ति नहीं लगाई जा रही है। यहां चांदी की मूर्ति की पूजा होगी।


मूर्ति को अंतिम रूप देता मूर्तिकार।

सिर्फ छोटी मूर्तियों की मांग, लाखों का नुकसान

गणपति पंडालों पर लगी रोक का सबसे ज्यादा असर मूर्ति बनाने लोगों के व्यापार पर पड़ा है। मेरठ के थापरनगर स्थित अजंता कला केंद्र के मूर्तिकार मनोज प्रजापति ने बताया कि मेरठ से बनी मूर्तियां हर साल दूर दूर तक जाती हैं। लेकिन इस बार मूर्ति का कोई ऑर्डर नहीं मिला। सिर्फ लोग घर में रखने के लिए छोटी मूर्तियां ही ले जा रहे हैं। हालांकि, इस बार मिट्टी की मूर्तियों की मांग बढ़ी है। वे बताते हैं कि हर मूर्तिकार को लाखों रुपए का नुकसान है।