HAL ने GE एयरोस्पेस के साथ 113 जेट इंजन खरीदने के लिए 1 बिलियन डॉलर की डील फाइनल की है। ये इंजन तेजस LCA MK-1A फाइटर जेट्स को ताकत देंगे। डिलीवरी 2027 से शुरू होकर 2032 तक चलेगी। यह भारत-अमेरिका डिफेंस साझेदारी की बड़ी उपलब्धि है।

नई दिल्ली। भारत की डिफेंस इंडस्ट्री के लिए एक बड़ा दिन! हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने अमेरिकी कंपनी GE एयरोस्पेस के साथ एक अहम समझौता किया है। इस डील के तहत HAL, भारतीय वायु सेना के लिए 113 जेट इंजन खरीदेगा, जो देश के स्वदेशी तेजस हल्के लड़ाकू विमानों (Tejas LCA) को नई ताकत देंगे। यह समझौता करीब 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 8,870 करोड़ रुपये) का है और इसे भारत-अमेरिका के बीच अब तक की सबसे बड़ी एयरोस्पेस डील्स में से एक माना जा रहा है।

HAL-GE डील क्यों है इतनी खास?

तेजस हल्का लड़ाकू विमान भारत में बना एक स्वदेशी विमान है, जो दुश्मन के इलाके में एयर डिफेंस और स्ट्राइक मिशन को अंजाम देने में सक्षम है। इस विमान में लगने वाला इंजन अब अमेरिकी कंपनी GE एयरोस्पेस से आएगा। डील के मुताबिक, GE F404-GE-IN20 इंजन की सप्लाई 2027 से शुरू होगी और 2032 तक पूरी होगी। यह वही इंजन है जो पहले से ही LCA Mk1A जेट्स में उपयोग हो रहा है।

क्या भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव के बावजूद यह डील हो पाई?

यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि हाल ही में अमेरिका ने भारतीय सामानों पर 50% तक टैरिफ लगाने का फैसला लिया था, जिससे दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों में खटास आई थी। फिर भी HAL और GE एयरोस्पेस ने इस बड़ी डिफेंस डील को फाइनल कर दिया, जिससे यह साफ होता है कि डिफेंस पार्टनरशिप राजनीतिक मतभेदों से ऊपर है।

तेजस विमान को क्या मिलेगा इस डील से?

इस डील से HAL को 97 LCA Mk1A विमान प्रोग्राम के लिए इंजन और सपोर्ट पैकेज मिलेगा। इससे भारत की वायुसेना को नई तकनीक, पावर और आत्मनिर्भरता दोनों मिलेंगी। भारत सरकार ने हाल ही में 62,370 करोड़ रुपये की डील HAL के साथ की थी ताकि वायुसेना को 97 नए तेजस MK-1A विमान दिए जा सकें।

कब मिलेंगे नए जेट इंजन?

अधिकारियों के मुताबिक, GE कंपनी 2027 से इंजन की डिलीवरी शुरू करेगी और अगले पांच वर्षों में यानी 2032 तक सभी 113 इंजन भारत को सौंप दिए जाएंगे।हालांकि, पहले भी जेट डिलीवरी में GE की देरी से HAL को परेशानी उठानी पड़ी थी, इसलिए इस बार कंपनी पर समय पर डिलीवरी देने का दबाव रहेगा।

IAF को क्यों है इन इंजनों की सख्त जरूरत?

फिलहाल भारतीय वायु सेना के पास केवल 31 स्क्वाड्रन फाइटर जेट्स हैं, जबकि आवश्यकता 42 स्क्वाड्रन की है। इस कमी को पूरा करने के लिए तेजस MK-1A विमान अहम भूमिका निभाने वाला है। यह डील भारतीय वायुसेना को न केवल संख्या में बल्कि ताकत और गति में भी बढ़त दिलाएगी।

क्या यह डील भारत की ‘मेक इन इंडिया’ स्ट्रेटेजी को मजबूत करेगी?

हाँ! HAL और GE दोनों मिलकर इस प्रोजेक्ट में लोकल मैन्युफैक्चरिंग को भी प्राथमिकता देंगे। इसका मतलब यह है कि भविष्य में ऐसे इंजनों का एक बड़ा हिस्सा भारत में ही बनाया जाएगा, जिससे देश की डिफेंस इंडस्ट्री आत्मनिर्भर बनेगी।