सार
गुजरात विधानसभा चुनाव(gujarat assembly elections) से ठीक पहले राज्य में कांग्रेस के सबसे ताकतवर युवा नेताओ में शुमार हार्दिक पटेल ने इस्तीफा देकर (Hardik Patel Resign from Congress) पार्टी के अंदरुनी हालत की पोल खोल दी है। उन्होंने सोनिया गांधी को एक लंबा-चौड़ा पत्र भेजा है। पढ़िए वो 10 बड़ी बातें, जिनसे हार्दिक पटेल का कांग्रेस से मोह भग्न हुआ...
नई दिल्ली. जुलाई, 2015 में पाटीदार आरक्षण आंदोलन(Patidar reservation movement) को लीड करके देशभर की पॉलिटिक्स में छा जाने वाले हार्दिक पटेल ने गुजरात विधानसभा चुनाव(gujarat assembly elections) से ठीक पहले कांग्रेस से इस्तीफा देकर (Hardik Patel Resign from Congress) पार्टी के अंदरुनी हालत की पोल खोल दी है। उन्होंने सोनिया गांधी को एक लंबा-चौड़ा पत्र भेजा है। यह पत्र उन्होंने अपने twitter पर भी शेयर किया है। इस पर उन्होंने सबसे पहले लिखा-"आज मैं हिम्मत करके कांग्रेस पार्टी के पद और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देता हूं। मुझे विश्वास है कि मेरे इस निर्णय का स्वागत मेरा हर साथी और गुजरात की जनता करेगी। मैं मानता हूं कि मेरे इस कदम के बाद मैं भविष्य में गुजरात के लिए सच में सकारात्मक रूप से कार्य कर पाऊंगा।" हार्दिक पटेल के भाजपा में शामिल होने की पूरी संभावना है। भाजपा सूत्रों के मुताबिक वे अगले महीने पार्टी ज्वाइन कर सकते हैं। बता दें कि गुजरात में 6 महीने बाद विधानसभा चुनाव हैं। पढ़िए वो 10 बड़ीं समस्याएं, जिनसे परेशान होकर हार्दिक पटेल ने कांग्रेस का 'हाथ' झिड़क दिया...
1.करीब 3 वर्षों में मैंने यह पाया है कि कांग्रेस पार्टी सिर्फ विरोध की राजनीति तक सीमित रह गई है। अयोध्या में प्रभु श्री राम का मंदिर हो, CAA-NRC का मुद्दा हो, जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाना हो अथवा GST लागू करने जैसे निर्णय हों, देश लंबे समय से इनका समाधान चाहता था और कांग्रेस पार्टी सिर्फ इसमें एक बाधा बनने का काम करती रही।
2. कांग्रेस को लगभग देश के हर राज्य में जनता ने रिजेक्ट इसीलिए किया है क्यूंकि कांग्रेस पार्टी और पार्टी का नेतृत्व जनता के समक्ष एक बेसिक रोडमैप तक प्रस्तुत नहीं कर पाया।
3. मैं जब भी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से मिला तो लगा कि नेतृत्व का ध्यान गुजरात के लोगों और पार्टी की समस्याओं को सुनने से ज्यादा अपने मोबाइल और बाकी चीजों पर रहा। जब भी देश संकट में था अथवा कांग्रेस को नेतृत्व की सबसे ज्यादा आवश्यकता थी, तो हमारे नेता(राहुल गांधी की तरफ इशारा) विदेश में थे।
4. शीर्ष नेतृत्व का बर्ताव गुजरात के प्रति ऐसा है, जैसे कि गुजरात और गुजरातियों से उन्हें नफरत हो। ऐसे में कांग्रेस कैसे अपेक्षा करती है कि गुजरात के लोग उन्हें विकल्प के तौर पर देखेंगे?
5. दुख होता है जब हम जैसे कार्यकर्ता अपनी गाड़ी से अपने खर्च पर दिन में 500-600 किलोमीटर तक की यात्रा करते हैं, जनता के बीच जाते हैं और फिर देखते हैं कि गुजरात के बड़े नेता तो जनता के मुद्दों से दूर सिर्फ इस बात पर ध्यान देते हैं कि दिल्ली से आए हुए नेता को उनका चिकन सैंडविच समय पर मिला या नहीं।
6. युवाओं के बीच मैं जब भी गया तो सभी ने एक ही बात कही कि आप ऐसी पार्टी में क्यों हो, जो हर प्रकार से गुज़रातियों का सिर्फ अपमान ही करती है, चाहे वह उद्योग के क्षेत्र में हो, चाहे धार्मिक क्षेत्र में हो, चाहे राजनीति के क्षेत्र से हो।
7. मुझे लगता है कि कांग्रेस पार्टी ने युवाओं का भी भरोसा तोड़ा है, जिसके कारण आज कोई भी युवा कांग्रेस के साथ दिखना भी नहीं चाहता।
8.मुझे बड़े दुःख के साथ कहना पड़ता है कि आज गुजरात में हर कोई जानता है कि किस प्रकार कांग्रेस के बड़े नेताओं ने जानबूझकर गुजरात की जनता के मुद्दों को कमजोर किया है और इसके बदले में स्वयं बड़े आर्थिक फायदे उठाये हैं। राजनीतिक विचारधारा अलग हो सकती है परंतु कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का इस प्रकार बिक जाना प्रदेश की जनता के साथ बहुत बड़ा धोखा है।
9. अफसोस की बात है कि कांग्रेस पार्टी गुजरात की जनता के लिए कुछ अच्छा करना ही नहीं चाहती। इसीलिए जब मैं गुजरात के लिए कुछ करना चाहता था तो पार्टी ने सिर्फ मेरा तिरस्कार ही किया। मैंने सोचा नहीं था कि कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व हमारे प्रदेश, हमारे समाज और विशेष तौर पर युवाओं के लिए इस प्रकार का द्वेष अपने मन में रखता है।
10. आज मैं बड़ी हिम्मत करके कांग्रेस पार्टी के सभी पद और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देता हूं। मुझे विश्वास है कि मेरे इस निर्णय का स्वागत मेरा हर साथी और गुजरात की जनता करेगी। मैं भी मानता हूं कि मेरे इस कदम के बाद मैं भविष्य में समग्र गुजरात के लिए सच में सकारात्मक रूप से कार्य कर पाऊंगा। जनता से मिले प्रेम का ऋण चुकाने के लिए मैं सदैव प्रयास करता रहूंगा।
(पत्र के बिंदुओं को मामली संपादित करके पब्लिश किया गया है)
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