नवदगी : हिजाब आवश्यक धार्मिक प्रथा है या नहीं, अदालत को यह बताने के लिए राज्य भी उतने ही जिम्मेदार हैं, जितना याचिकाकर्ता। हमने इसकी जांच की है, जिससे पता चलता है कि ऐसा बिल्कुल नहीं है।
नवदगी ने चार उदाहरण बताए, जिनमें सुप्रीम कोर्ट ने कुरान के हवाले से दिए गए उदाहरणों को नकारा दिया था।
1- पहला मामला 1959 में कुरैशी का था, जब उन्होंने कुरान का हवाला देते हुए कहा था कि जानवरों की कुर्बानी अनिवार्य धार्मिक प्रथा है। कोर्ट ने इसे नकारा।
2- दूसरा हरियाणा के जावेद का मामला था। उन्होंने कहा कि इस्लाम में कई विवाहों की अनुमति है। इसे चुनौती देने वाले कानून को खत्म करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने इसे नहीं माना।
3- तीसरा इस्माइल फारुकी मामला, जहां सरकार ने एक मस्जिद का अधिग्रहण किया था। उन्होंने इसे यह कहते हुए चुनौती दी कि मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम का मूल सिद्धांत है। कोर्ट ने इसे नकारा।
4- चौथा शायरा बानो कांड, जिसमें एक बार में ही तीन तलाक को खत्म कर दिया गया।
पांचवां मामला कर्नाटक हाईकोर्ट में सामने आया, जहां वक्फ की जमीन एक विशेष होटल को पट्टे पर दी गई थी। इसे इस आधार पर चुनौती दी गई थी कि होटल में शराब और सूअर का मांस परोसा जाएगा, जो इस्लाम में हराम है। लेकिन हाईकोर्ट ने इस दलील को भी नकार दिया।