सार

Karnataka Hijab Verdict : छात्राओं का कहना है कि माता-पिता से बात करने के बाद ही वे तय करेंगी कि बिना हिजाब पहने कक्षाओं में आना चाहिए या नहीं। मंगलवार को 35 छात्राओं ने परीक्षाओं का बहिष्कार किया। अहम बात ये है कि इन छात्राओं ने हाईकोर्ट के फैसले का पालन करने से इनकार कर दिया और परीक्षा कक्ष से चली गईं।

बेंगलुरू। कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court Verdict) ने मंगलवार को हिजाब को लेकर अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने माना है कि हिजाब इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है। इस फैसले को लेकर कर्नाटक में एक बार फिर विरोध शुरू हो गया है। हाईकोर्ट के फैसले के बाद सुरपुरा केंबवी सरकारी पीयू कॉलेज की छात्राओं ने परीक्षा तक छोड़ दी। इन छात्राओं का कहना है कि वे हिजाब के बिना कॉलेज नहीं आएंगी, भले ही परीक्षा से क्यों न वंचित कर दिया जाए। 
 
पहले भी कहा था, छोड़नी पड़ेगी पढ़ाई 
छात्राओं का कहना है कि वे अपने माता-पिता के साथ इस मुद्दे पर बात करेंगी और इसके बाद ही फैसला लेंगी कि क्या उन्हें बिना हिजाब पहने कक्षाओं में आना चाहिए। मंगलवार को 35 छात्राओं ने परीक्षाओं का बहिष्कार किया। अहम बात ये है कि इन छात्राओं ने हाईकोर्ट के फैसले का पालन करने से इनकार कर दिया और परीक्षा कक्ष से चली गईं। छात्राओं का कहना है कि हिजाब हटाकर हम परीक्षा नहीं दे सकते। इससे पहले 11 दिन इस मामले की सुनवाई हुई थी, जिसमें छात्राओं की तरफ से कहा गया था कि यह हमारी धार्मिक पहचान और प्रथा का हिस्सा है। यदि हमें हिजाब की अनुमति नहीं मिलती है तो हमें मजबूरन पढ़ाई छोड़नी पड़ेगी। 

11 सुनवाई के बाद मंगलवार को सुनाया है फैसला
हिजाब मामले को लेकर 10 फरवरी से कर्नाटक हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही थी। 11 दिन सुनवाई के बाद कोर्ट ने 25 फरवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था। मंगलवार को चीफ जस्टिस रितु राज अवस्थी, जस्टिस कृष्णा दीक्षित और जस्टिस जेएम खाजी की पीठ ने हिजाब को लेकर अपना फैसला सुनाया। कोर्ट ने माना है कि हिजाब इस्लाम की धार्मिक प्रथा का अनिवार्य हिस्सा नहीं है। इसलिए स्कूल और कॉलेजों में यूनिफॉर्म लागू की जा सकती है। कोर्ट ने कहा कि छात्राओं को हिजाब पर प्रतिबंध को लेकर आपत्ति नहीं करनी चाहिए।  

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