सार
होली (Holi 2022) में रंग खेलते समय सावधानी नहीं बरतने से एलर्जी से लेकर श्वसन संक्रमण तक बड़ी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि होली के रंगों में मिले भारी धातुओं, रसायनों और कीटनाशकों जैसे हानिकारक पदार्थों के संपर्क में आने से इंसान की त्वचा, आंखों और श्वसन तंत्र पर विनाशकारी प्रभाव पड़ सकता है।
नई दिल्ली। होली (Holi 2022) रंगों का त्योहार है। लाल, हरा या पीला जिसे जो रंग मिलता है उसी से अपनों से लेकर बेगानों को रंग देता है। होली की मस्ती में लोग कई बार सावधानियां बरतना भूल जाते हैं, जिसका असर स्वास्थ्य पर पड़ता है। रंगों में मिले खतरनाक केमिकल सांस, त्वचा और आंखों की समस्याएं पैदा करते हैं।
रंग खेलते समय सावधानी नहीं बरतने से एलर्जी से लेकर श्वसन संक्रमण तक बड़ी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि होली के रंगों में मिले भारी धातुओं, रसायनों और कीटनाशकों जैसे हानिकारक पदार्थों के संपर्क में आने से इंसान की त्वचा, आंखों और श्वसन तंत्र पर विनाशकारी प्रभाव पड़ सकता है। कार्बनिक और रसायन मुक्त रंगों का उपयोग करने से इनमें से अधिकांश समस्याओं से बचा जा सकता है। बच्चों को भी इसके खतरा होता है। रंगों में मौजूद लेड विकलांगता का कारण भी बन सकता है।
हो सकती है सांस की परेशानी
कंसल्टेंट चेस्ट फिजिशियन डॉ संगीता चेकर कहती हैं कि होली के रंग से सांस की समस्या भी हो सकती है। रंग मुंह में प्रवेश कर सकता है और अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) जैसी स्थितियों को बढ़ा सकता है, जिससे घरघराहट, खांसी और बलगम आने लगता है। रंगों में मिला क्रोमियम ब्रोंकाइटिस, अस्थमा और एलर्जी को आमंत्रित करता है। इसके अलावा रंगों में मौजूद पारा हमारे आंतरिक अंगों जैसे किडनी, लीवर और अजन्मे बच्चे के स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है। आयरन प्रकाश के प्रति त्वचा की संवेदनशीलता को बढ़ा सकता है। सिलिका शुष्क त्वचा का कारण बन सकती है। इन परेशानियों से बचने के लिए रंग खेलने के दौरान सतर्क रहना चाहिए। अगर किसी प्रकार की परेशानी आए तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
आंखों की एलर्जी
त्वचा विशेषज्ञ डॉ मृणमयी मुकुंद कहते हैं कि होली के रंग पारा, एस्बेस्टस, सिलिका, अभ्रक और लेड जैसे खतरनाक रसायनों से बने होते हैं जो त्वचा और आंखों के लिए जहरीले होते हैं। आंखों में रंग चले जाने से एलर्जी, कॉर्नियल एबरेशन कॉनजंक्टिवाइटिस और आंखों की चोट जैसी समस्याएं देखी जाती हैं। इसके अलावा एलर्जी से लालिमा, सूजन और आंखों में पानी आ सकता है। रसायन आईरिस के संपर्क में आते हैं, जिससे गंभीर सूजन हो सकता है। रसायन के चलते आंखों के लेंस में धब्बा पड़ सकता। इसके चलते संक्रमण भी हो सकता है। इसलिए एक-दूसरे को रंग लगाते समय आंखों की सुरक्षा का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। होली के रंगों में भारी धातुएं, कांच के टूटे हुए टुकड़े, रसायन और कीटनाशक होते हैं। होली के रंगों से खेलने के बाद बैक्टीरिया से त्वचा संक्रमण हो सकता है। इसके साथ ही त्वचा पर सूजन, चकत्ते, खुजली, जलन और पित्ती की शिकायत भी हो सकती है।
परेशानियों से बचने के लिए करें ये उपाय
- होली खेलने के लिए कार्बनिक रंगों का प्रयोग करें। अपनी त्वचा पर मॉइस्चराइजर या तेल लगा लें।
- आंखों के लिए धूप के चश्मे का इस्तेमाल करें और लेंस पहनने से बचें।
- अपनी आंखों को छूने या उन्हें रगड़ने से बचें, क्योंकि इससे जलन या आंखों की अन्य समस्याएं हो सकती हैं।
- पूरी बाजू के कपड़े पहनें, अपनी आंखें न रगड़ें और गुब्बारों के इस्तेमाल से बचें।
- रंगों से खेलने के बाद रंग हटाने के लिए डिटर्जेंट, स्पिरिट, नेल पॉलिश रिमूवर, अल्कोहल या एसीटोन का इस्तेमाल नहीं करें।
- डॉक्टर द्वारा सुझाए गए साबुन का प्रयोग करें, स्क्रब नहीं करें।