सार

झारखंड के त्रिकूट में हुए रोपवे हादसे (Trikoot ropeway accident) में वायु सेना के Mi-17 हेलिकॉप्टर की मदद से बचाव अभियान चलाया जा रहा है। जंग हो या आपदा यह हेलिकॉप्टर वायु सेना के बड़े काम आता है। इसे रूस से खरीदा गया था।

नई दिल्ली। झारखंड के देवघर के त्रिकूट में हुए रोपवे हादसे में वायु सेना के Mi-17 हेलिकॉप्टर राहत व बचाव अभियान चला रहे हैं। केबल कारों में फंसे लोगों को हेलिकॉप्टर की मदद से निकाला जा रहा है। यह पहली बार नहीं है कि संकट के समय लोगों की जान बचाने के लिए इस हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल किया जा रहा है। भारतीय वायु सेना का Mi-17 हेलिकॉप्टर जंग हो या राहत अभियान बड़े काम आता है। 

रूस से खरीदे गए थे Mi-17 हेलिकॉप्टर
Mi-17 हेलिकॉप्टर रूस से खरीदे गए थे। यह एक ट्रांसपोर्ट हेलिकॉप्टर है। वायु सेना इसका इस्तेमाल जंग के मैदान में सैनिकों, हथियारों और साजो-सामान पहुंचाने के लिए करती है। आपदा के समय राहत और बचाव अभियान में भी इसका बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है। इसे बाढ़ में फंसे लोगों को निकालने और उन तक खाना पहुंचाने के लिए यूज किया जाता है। पिछले दिनों राजस्थान के सरिस्का टाइगर रिजर्व में आग लगी थी तो इस हेलिकॉप्टर को आग बुझाने के मिशन पर लगाया गया था। यह हेलिकॉप्टर कम ऊंचाई पर बेहद स्थिरता से उड़ने में सक्षम है, जिसके चलते यह मुश्किल बचाव अभियानों में अच्छा परफॉर्म करता है। 

24 लोग हो सकते हैं सवार
Mi-17 हेलिकॉप्टर उड़ाने के लिए तीन क्रू मेंबर की जरूरत होती है। पायलट, को पायलट और फ्लाइट इंजीनियर की टीम इसे उड़ाती है। इसमें 24 पैसेंजर सवार हो सकते हैं। यह अपने साथ 4000 किलोग्राम वजन लेकर उड़ सकती है। इसके अंडर कैरेज हुक से 3000 किलोग्राम वजनी सामान टांगकर ढोया जा सकता है।

250 किलोमीटर प्रतिघंटा है अधिकतम रफ्तार
Mi-17 हेलिकॉप्टर में दो इंजन लगे हैं। यह 250 किलोमीटर प्रतिघंटा की अधिकतम रफ्तार से उड़ान भर सकती है। इसकी लंबाई 25.35 मीटर और ऊंचाई 4.76 मीटर है। हेलिकॉप्टर का वजन 7.1 टन है। यह अधिकतम 13 टन वजन के साथ उड़ान भर सकती है। यह 6 किलोमीटर ऊंचाई तक उड़ान भर सकती है। हेलिकॉप्टर का रेंज 495 किलोमीटर है। 

यह भी पढ़ें- झारखंड-त्रिकूट रोपवे हादसा : 20 घंटे से हवा में लटके कई श्रद्धालु, दो मौत, सेना हेलिकॉप्टर से चला रही ऑपरेशन

1975 में सबसे पहले भरी थी उड़ान
Mi-17 हेलिकॉप्टर 1981 से सर्विस में है। इसने सबसे पहले 1975 में उड़ान भरी थी। रूस ने इस हेलिकॉप्टर को बड़े पैमाने पर निर्यात किया था। 70 से अधिक देशों की सेनाएं  इसका इस्तेमाल कर रही हैं। जरूरत पड़ने पर इस हेलिकॉप्टर को हथियारों से भी लैस किया जा सकता है। इसमें 7.62 एमएम और 12.7 एमएम के मशीनगन लगाए जा सकते हैं। इस हेलिकॉप्टर का लड़ाकू वर्जन भी है, जो 1500 किलोग्राम भारी हथियारों को लेकर उड़ान भरता है। इसमें कई तरह के एंटी टैंक और हवा से हवा में मार करने वाले मिसाइल, बम और 57 एमएम और 80 एमएम के अनगाइडेड रॉकेट्स शामिल हैं। हेलिकॉप्टर के नोज में 20 एमएम का तोप लगाया जा सकता है।

यह भी पढ़ें- झारखंड-त्रिकूट रोपवे हादसा : 10 तस्वीरों में देखिए सेना का रेस्क्यू ऑरेशन, कैसे जिंदगियां बचाने में जुटे जवान