सार
अंतरिम बजट 2024-25 भाजपा के लिए अपनी 10 साल की उपलब्धियों को लोगों के सामने लाने का एक दुर्लभ अवसर साबित हुआ। एस गुरुमूर्ति के मुताबिक, बीजेपी ने इस मौके का भरपूर इस्तेमाल इस बात को दिखाने के लिए किया कि मोदी सरकार की उपलब्धियां कितनी शानदार हैं।
Interim budget 2024-25 View Points: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पिछले हफ्ते 1 फरवरी को पेश किया गया बजट पूर्ण बजट न होकर अंतरिम बजट था। राजनीतिक परंपरा के मुताबिक, इसमें किसी नए टैक्स या नई रियायतों की घोषणा नहीं की जानी चाहिए। आगामी लोकसभा चुनाव जीतने वाली सरकार 2024-25 का पूर्ण बजट पेश करेगी। मतलब कि अंतरिम बजट अतीत का लेखा-जोखा होगा। 2014 तक अंतरिम बजट ज्यादा चर्चा का विषय नहीं रहता था, क्योंकि इसमें कोई नया खर्च नहीं था। 2014 में ही आखिर अंतरिम बजट क्यों चर्चा में आया? 2014-15 में पी.चिदंबरम ने जो अंतरिम बजट पेश किया था, उसमें परंपराओं को तोड़ते हुए रियायतों और खर्चों का ऐलान किया था, जिसकी वजह से ये काफी चर्चा में रहा। इसी तरह मोदी सरकार ने 2019-20 के अंतरिम बजट में नए खर्चों का ऐलान किया और इस पर चर्चा भी हुई। इस तरह धीरे-धीरे अंतरिम बजट पर डिस्कशन शुरू हुआ।
परंपराओं की पुनर्स्थापना
अंतरिम बजट में नए टैक्स, रियायती खर्चों आदि का ऐलान न करने की परंपरा के पीछे तर्क यह है कि चुनाव से पहले सत्तारूढ़ सरकार चुनाव के बाद जनता द्वारा चुनी गई सरकार पर कोई बोझ न डाले। 2014 में कांग्रेस सरकार के अंत में पी.चिदंबरम द्वारा प्रस्तुत अंतरिम बजट में चुनावों को ध्यान में रखते हुए टैक्स छूट की घोषणा करके इस अच्छी परंपरा को तोड़ दिया गया था। तमिलनाडु की तत्कालीन मुख्यमंत्री जे. जयललिता ने इसे परंपरा का उल्लंघन करने वाला बताते हुए इसकी निंदा की थी।
2019 में अंतरिम बजट पेश करने वाली मोदी सरकार ने भी परंपरा तोड़ते हुए किसानों को सब्सिडी देने का ऐलान किया। दोनों को सत्तारूढ़ सरकार द्वारा चुनाव के बाद सरकार पर थोपा गया बोझ ही कहा जाएगा। जैसा कि कांग्रेस ने 2014 में परंपरा को तोड़ा था, इसलिए वह 2019 में मोदी सरकार द्वारा ऐसा करने पर आपत्ति नहीं जता सकती थी। यहां तक कि मीडिया ने भी इसकी आलोचना नहीं की। अंतरिम बजट 2024-25 में कर रियायतों और परंपराओं के अनुसार खर्च करने से परहेज किया गया है। लेकिन इन अंतरिम बजट की आलोचनाओं में भी, इस सामान्य कमेंट को छोड़कर कि सरकार ने व्यय को छोड़कर और घाटे को कम करके जिम्मेदारी से बजट प्रस्तुत किया है, किसी ने भी ये नहीं बताया कि यह अंतरिम बजट पारंपरिक है। ये कहते हुए हमें उस अच्छी परंपरा की याद दिलाई जाती है कि यह अंतरिम बजट परंपराओं के मुताबिक ही है।
2024-25 का अंतरिम बजट
अंतरिम बजट 2024-25 में कोई नया टैक्स, कोई नई योजना, कोई रियायत और कोई खर्च नहीं है। हालांकि, पहले से चल रही प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 3 करोड़ घर बनाए जा चुके हैं। वहीं, अगले 5 साल में 2 करोड़ घर और बनाए जाएंगे, जिसके लिए 80,600 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं, जो चालू वित्त वर्ष की तुलना में 1000 करोड़ रुपये ज्यादा है। वहीं, 15 लाख करोड़ रुपये निवेश के लिए निर्धारित किए गए हैं, जो कि पहले की तुलना में 2.3 लाख करोड़ रुपये ज्यादा है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि मोदी सरकार ने 2019 के बजट के विपरीत किसानों को कोई रियायत नहीं दी, यह भाजपा के विश्वास को दर्शाता है कि मोदी अगला चुनाव जीतेंगे।
10 साल की उपलब्धियां
अंतरिम बजट 2024-25 भाजपा के लिए अपनी 10 साल की उपलब्धियों को लोगों के सामने उजागर करने का एक दुर्लभ अवसर साबित हुआ। भाजपा ने इस अवसर का पूरा इस्तेमाल ये दिखाने के लिए किया कि उनकी सरकार की उपलब्धियां कितनी शानदार हैं। न सिर्फ कांग्रेस के 10 साल (2004-14) के शासन की तुलना में ये बेहतर हैं बल्कि उसके बाद से सभी दलों के पूरे 64 साल के शासन के मुकाबले भी बेहतरीन हैं।
उदाहरण के लिए 1950 से 2014 तक 64 सालों में 16 आईआईटी स्थापित हुए, वहीं मोदी सरकार में 7 स्थापित हुए। 1950-64 के बीच 7 एम्स अस्पताल बने, वहीं मोदी शासन में 15 एम्स स्थापित हुए। इसी तरह, 2014 तक 723 यूनिवर्सिटी बनीं, जबकि मोदी सरकार में 390 यूनिवर्सिटी स्थापित हुईं। 1950 से 2014 के बीच कुल 74 एयरपोर्ट बने, जबकि मोदी सरकार के 10 साल के कार्यकाल में ही 74 नए एयरपोर्ट बन चुके हैं।
दूसरे शब्दों में कहें तो बीजेपी ने कहा है कि सभी सरकारों ने 64 साल में जो हासिल किया था, उससे कहीं ज्यादा मोदी सरकार ने 10 साल में हासिल कर लिया है। इसके अलावा, 10 साल के कांग्रेस शासन की तुलना में मोदी शासन में सरकारी राजस्व कमोबेश 3 गुना बढ़ गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के मुताबिक, अलग-अलग गरीब तबकों की संख्या 2014 में 29% से घटकर 11.3% रह गई है। साथ ही 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आ गए हैं।
सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में हिस्सेदारी के रूप में सरकारी निवेश 2014 में 4% से बढ़कर 2022-23 में 18% हो गया। हायर स्टडी करने वाली महिलाओं की संख्या में 28% का इजाफा हुआ है। वहीं, साइंस एंड टेक्नोलॉजी में स्टडी करने वाली महिलाओं की संख्या में 43% की वृद्धि हुई है। इसी तरह, काम और व्यवसाय में शामिल महिलाओं की संख्या में भी 50% का इजाफा हुआ है। 43 करोड़ लोगों को 22.5 लाख करोड़ रुपए के मुद्रा लोन दिए गए, जिनमें से 30 करोड़ महिलाएं हैं। इसके अलावा 3 करोड़ बेघर लोगों को आवास दिए गए, जिनमें 70% महिलाएं हैं।
इसके अलावा मोदी सरकार ने 10 करोड़ परिवारों को मुफ्त रसोई गैस; 11 करोड़ घरों के लिए शौचालय; उजाला योजना के तहत घरों के लिए 38 करोड़ एलईडी बल्ब, सड़कों के लिए 1.3 करोड़ एलईडी ट्यूब; 1.4 करोड़ पुरुषों और महिलाओं के लिए कौशल विकास प्रशिक्षण; एसएचजी के माध्यम से एक करोड़ महिलाओं को 83 लाख का ऋण; 78 लाख स्ट्रीट ट्रेडर्स को क्रेडिट; बैंकिंग सुविधाओं से वंचित 50 करोड़ लोगों के बैंक खाते खोलकर 11.8 करोड़ किसानों को 2.81 लाख करोड़ रुपये का डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर; अन्य लाभार्थियों को 2.7 लाख करोड़ रुपये का वितरण; कोरोना के बाद बेरोजगारी 6.1% से घटकर 3.2% रह गई है। इस तरह वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोदी सरकार की बड़ी उपलब्धियां गिनाईं।
बजट को लेकर मीडिया में होनेवाली डिबेट एक तरह से भाजपा की उपलब्धियों का अभियान बन गई। भारत, जो कि 2014 में विश्व अर्थव्यवस्था में 10वें नंबर पर था, 10 सालो में ब्राजील, ब्रिटेन, फ्रांस, कनाडा और इटली से आगे निकल गया है। इतना ही नहीं, अब मोदी सरकार के तहत देश की जबरदस्त ग्रोथ के चलते 5वें नंबर पर पहुंच गया है। 20 साल के एनुअल ग्रोथ नंबर को देखें तो भारत चीन को पछाड़कर दुनिया में नंबर एक बन गया है। भारत एक ऐसा देश बन गया है, जिसका दुनिया में हर कोई सम्मान करता है। आज के दौर में आईएमएफ और विश्व बैंक जैसे संगठन भारत को वैश्विक विकास के इंजन के रूप में देख रहे हैं, जो कभी हमें नीची दृष्टि से देखते थे।
मशहूर अमेरिकी मॉर्निंग कंसल्ट रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन पिछले 5 साल से और अब भी कहता आ रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुनिया के 22 सबसे महत्वपूर्ण नेताओं में सबसे ज्यादा पॉपुलर हैं। विपक्षी दल मोदी को जितना बदनाम करते हैं, वे उतने ही लोकप्रिय होते जाते हैं। विपक्षियों को ये समझना चाहिए कि ये सब मोदी के अथक परिश्रम और उनकी सरकार की महान उपलब्धियों के कारण है। इसका परिणाम उनके और देश दोनों के लिए अच्छा है।
नोट: यह लेख मूल रूप से तुगलक तमिल साप्ताहिक पत्रिका में छपा था। इसका अंग्रेजी में अनुवाद तुगलक डिजिटल द्वारा www.gurumurthy.net के लिए किया गया था। इसे एशियानेट न्यूज नेटवर्क में दोबारा प्रकाशित किया गया है।
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