सार
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू सरकार ने लॉ सिस्टम को ओवरहाल करने का फैसला किया है। सरकार के इस कदम के विरोध में इजरायल के सबसे बड़े श्रमिक संघ ने हड़ताल का आह्वान किया है इसमें विदेशों में स्थित दूतावास के कर्मचारियों ने भी हिस्सा लिया है।
Israel Embassy strike: भारत में इजरायल की एंबेसी में सोमवार को राजदूत सहित सभी कर्मचारियों ने हड़ताल कर दिया है। इजरायली दूतावास में यह हड़ताल, उनके देश में देशव्यापी श्रमिक हड़ताल के समर्थन में है। दरअसल, इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की कट्टर दक्षिणपंथी सरकार ने लॉ सिस्टम को ओवरहाल करने का फैसला किया है। सरकार के इस कदम के विरोध में इजरायल के सबसे बड़े श्रमिक संघ ने हड़ताल का आह्वान किया है इसमें विदेशों में स्थित दूतावास के कर्मचारियों ने भी हिस्सा लिया है।
भारत में इजरायल दूतावास ने दी हड़ताल की जानकारी
भारत में इज़राइल का दूतावास ने जारी एक बयान में बताया कि इजरायल के सबसे बड़े श्रमिक संघ हिस्ताद्रुत ने सभी सरकारी कर्मचारियों को हड़ताल पर जाने का निर्देश दिया। इसमें दुनिया भर में इजरायल के राजनयिक मिशन शामिल हैं। इजरायल का दूतावास अगले नोटिस तक बंद रहेगा और कोई कांसुलर सेवाएं प्रदान नहीं की जाएंगी। भारत और दुनिया भर में सभी इस्राइली मिशनों के अधिकारी तब तक हड़ताल पर रहेंगे जब तक हड़ताल को वापस नहीं लिया जाता है या खत्म नहीं किया जाता।
श्रमिक संगठनों ने लोकतंत्र के लिए बताया खतरा
इज़राइल के शीर्ष ट्रेड यूनियन प्रमुख ने आम हड़ताल का आह्वान करते हुए कहा कि न्यायपालिका की शक्तियों को कमजोर करने की कोशिश हो रही है। इजरायल के लोकतंत्र के लिए यह खतरनाक है। हिस्ताद्रुत के अध्यक्ष अर्नोन बार-डेविड ने एक टेलीविजन संबोधन में कहा कि मैं एक आम हड़ताल का आह्वान कर रहा हूं। हमारे पास इस विधायी प्रक्रिया को रोकने के लिए एक मिशन है और हम इसे करेंगे। उन्होंने कहा कि वह लड़ाई जारी रखेंगे।
पूरा सिस्टम हो गया ठप
इज़राइल मेडिकल एसोसिएशन ने स्वास्थ्य प्रणाली में पूर्ण हड़ताल की घोषणा करते हुए तुरंत इसका पालन किया। इससे देश में सार्वजनिक अस्पतालों में काम प्रभावित हुआ। समाचार एजेंसी एएफपी को इज़राइल एयरपोर्ट्स अथॉरिटी की एक प्रवक्ता लिज़ा डविर ने तेल अवीव के पास बेन गुरियन इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर ठहराव को भी प्रभावित किया। तेल अवीव में रात भर प्रदर्शनों के बाद हर्ज़ोग ने न्यायिक कार्यक्रम को तत्काल रोकने के लिए दबाव डालने के घंटों बाद राष्ट्रव्यापी वाकआउट का आह्वान किया।
राष्ट्रपति ने कहा कि वह कानून संशोधन को रोकने का आह्वान कर रहे
हर्ज़ोग ने एक बयान में कहा कि इज़राइल के लोगों की एकता के लिए.. मैं आपसे विधायी प्रक्रिया को तुरंत रोकने का आह्वान करता हूं। दरअसल, नेतन्याहू के फैसले से जस्टिस सिस्टम राजनेताओं के अधिक नियंत्रण में होगा और सुप्रीम कोर्ट की भूमिका को कम दिया जाएगा। इस संशोधन के खिलाफ महीनों से विरोध हो रहा है। इस फैसले ने इजरायलियों का विरोध बढ़ाया ही है, अमेरिका और इजरायल के शीर्ष सहयोगियों की चिंताओं को भी बढ़ा दिया है।
दरअसल, नेतन्याहू की सरकार, उनकी लिकुड पार्टी, अति-दक्षिणपंथी और अति-रूढ़िवादी सहयोगियों के बीच गठबंधन ने तर्क दिया है कि सांसदों और न्यायपालिका के बीच शक्तियों को पुनर्संतुलित करने के लिए परिवर्तनों की आवश्यकता है।
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