सार
चांद की सतह पर खोजबीन के लिए इसरो ने चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) के साथ प्रज्ञान रोवर (Pragyan rover) भेजा है। यह कॉफी टेबल साइज का रोवर है जो चांद की सतह पर भारत के निशान बना रहा है।
नई दिल्ली। इसरो (ISRO) के चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग की है। चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर अपने साथ प्रज्ञान रोवर (Pragyan rover) ले गया है। यह चंद्रमा की सतह पर खोजबीन कर रहा है। इसके साथ ही चांद पर भारत के निशान भी बना रहा है।
कितनी है चंद्रयान-3 की लागत?
इसरो के मिशन चंद्रयान-3 की लागत 615 करोड़ रुपए है। 14 जुलाई को चंद्रयान तीन को लॉन्च किया गया था। चंद्रयान तीन ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड किया है। यहां अब तक कोई देश नहीं पहुंचा था।
चंद्रयान-3 में किया गया है किस इंधन का इस्तेमाल?
चंद्रयान-3 को लॉन्च करते वक्त पहले स्टेज में रॉकेट ने ठोस इंधन का इस्तेमाल किया था। दूसरे स्टेज में रॉकेट ने लिक्विड इंधन इस्तेमाल किया। फाइनल स्टेज में लिक्विड हाइड्रोजन और लिक्विड ऑक्सीजन का इस्तेमाल किया गया। इस इंधन से क्रायोजेनिक इंजन चलता है।
क्या है प्रज्ञान रोवर?
विक्रम लैंडर के साथ प्रज्ञान नाम के रोवर को भेजा गया है। यह चंद्रमा की सतह पर खोजबीन कर रहा है। रोवर में छह पहिए लगे हैं। यह चंद्रमा की सतह की जांच करने के लिए जरूरी उपकरणों से लैस है। यह चंद्रमा का वायुमंडल बनाने वाले तत्वों के बारे में जानकारी एकत्र करेगा। रोवर का वजन 26 किलोग्राम है। यह 14 दिन तक काम करेगा।
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प्रज्ञान के पहिए पर इसरो का लोगो और भारत का प्रतीक चिह्न है। रोवर चंद्रमा की सतह पर चलते वक्त भारत के कदमों के निशान छोड़ रहा है। रोवर चंद्रमा की सतह की संरचना की जांच करेगा। उसकी मिट्टी का विश्लेषण करेगा। पता लगाएगा कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर गर्मी कितनी रहती है। यहां भूकंप आते हैं या नहीं।