सार
विक्रम लैंडर के चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग कर ली है। यह प्रक्रिया शाम करीब 5:45 बजे शुरू हुई। शाम 6:04 बजे लैंडिंग हुई। इस दौरान 20 मिनट बेहद तनाव भरे रहे।
नई दिल्ली। इसरो (Isro) द्वारा भेजे गए चंद्रयान-3 (Chandrayaan 3) ने बुधवार शाम 6:04 बजे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कर ली। इस क्षेत्र में लैंडिग इतना कठिन है कि अभी तक किसी देश को इसमें कामयाबी नहीं मिली थी। विक्रम लैंडर के चांद पर उतरने से पहले के 20 मिनट सबसे तनावभरे रहे।
लैंडिंग की प्रक्रिया शाम करीब 5:45 बजे शुरू हुई। उस वक्त विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह से करीब 30 किलोमीटर की ऊंचाई पर था। लैंडिंग के लिए चुने गए इलाके से उसकी दूरी 745.5 km थी। 30 km की ऊंचाई से विक्रम लैंडर ग्लाइड करते हुए नीचे पहुंचा। उस वक्त इसकी रफ्तार 1.6 किलोमीटर प्रति सेकंड थी।
690 सेकंड के बाद चालू हुए विक्रम लैंडर के इंजन
690 सेकंड के बाद विक्रम लैंडर के इंजन चालू हुए। इंजन से निकलने वाली ऊर्जा ने एंटी थ्रस्ट के रूप में काम किया, जिससे लैंडर की रफ्तार कम हुई। इसके साथ ही लैंडर धीरे-धीरे चांद की सतह की ओर बढ़ा और लैंडर की रफ्तार घटकर 60 मीटर प्रति सेकंड हुई। इस प्रक्रिया के अंत तक विक्रम लैंडिग के लिए चुने गए इलाके से 32 किलोमीटर दूर पहुंचा। वह करीब 7.5 किलोमीटर की ऊंजाई पर मंडराया। इस दौरान लैंडर के कैमरे से चांद की सतह की तस्वीरें ली गईं और लैंडिग साइट को डबल चेक किया गया।
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इस चरण के दौरान विक्रम लैंडर के सभी सेंसरों को बारीकी से कैलिब्रेट किया गया। चंद्रमा के लैंडिंग वाले इलाके की जांच की गई। जगह तय होने पर लैंडिंग के लिए विक्रम आगे बढ़ा। इस दौरान विक्रम सीधा हो गया तब सतह से उसकी ऊंचाई 800-1300 मीटर थी। लैंडिंग साइट पर पहुंचने के बाद विक्रम के कैमरा ने सतह की तस्वीरें ली। विक्रम इस दौरान हवा में मंडराया और नीचे आने के लिए सही जगह का चुनाव किया।
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ऐसा करीब 12 सेकेंड तक हुआ और लैंडर की ऊंचाई 150 मीटर रह गई। लैंडिग की जगह तय होने पर विक्रम नीचे आया। लैंडर को 150 मीटर की ऊंचाई से सतह पर आने में 73 सेकंड लगे। विक्रम लैंडर के पैरों ने चांद की सतह को सेंस किया। इसके कुछ देर बाद प्रज्ञान रोवर बाहर आया। यह अगले 14 दिनों तक चंद्रमा की सतह पर खोजबीन करेगा।