सेब की खेती ठंडी जगहों पर होती है, लेकिन श्रीशैल तेली नाम के एक किसान ने इसे कर्नाटक जैसी गर्म जगह पर उगाया है। प्रधानमंत्री मोदी ने उनकी तारीफ की है। श्रीशैल ने जब सेब की खेती शुरू की तो लोग मजाक उड़ाते थे। आज वही लोग उनसे ज्ञान मांग रहे हैं।

Independence Day 2025: भारत को आजाद हुए 78 साल हो गए। इस लंबे कालखंड में हमारे देश ने सफलता के कई कीर्तिमान रचे हैं। इसका बहुत बड़ा श्रेय उन लोगों को जाता है, जिनके लिए असंभव जैसी कोई चीज नहीं होती। एक ऐसे ही शख्स हैं श्रीशैल तेली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इनकी तारीफ कर चुके हैं।

कर्नाटक में सेब की खेती करते हैं श्रीशैल तेली

श्रीशैल तेली कर्नाटक के बागलकोट के कुलाली गांव के रहने वाले हैं। जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश जैसी ठंडी जगह उगने वाले सेब की खेती वे दक्षिण भारत के गर्म मौसम में करते हैं। कुलाली गांव में तापमान 38 डिग्री सेल्सियस से अधिक पहुंच जाता है। इसके बाद भी श्रीशैल तेली सफलतापूर्वक सेब की खेती कर रहे हैं। उनके द्वारा उगाए गए सेब की बड़ी मांग है।

लोगों ने उड़ाया मजाक, तब भी श्रीशैल तेली ने नहीं मानी हार

बागलकोट में गन्ना, मक्का, अनार और चना जैसे फसलों की खेती होती है। श्रीशैल तेली अंगूर की खेती करते थे। उन्हें सेब पसंद था। इसलिए इसकी खेती करने की ठानी। आसपास के लोगों ने सुना कि सेब की खेती करने जा रहे हैं तो मजाक उड़ाया। कहा कि दिमाग फिर गया है। इतनी गर्मी में कैसे सेब की पैदावार होगी।

श्रीशैल ने कैसे शुरू की सेब की खेती

श्रीशैल ने बताया कि उन्होंने खेती के लिए सेब के अन्ना किस्म का चुनाव किया। यह किस्म 42 डिग्री सेल्सियस तापमान झेल सकती है। उन्होंने महाराष्ट्र के शिरडी के एक नर्सरी से 2600 पौधे खरीदे और 7 एकड़ में लगाए। 7 लाख रुपए खर्च आए। सेब की खेती जैविक तरीके से की। आमतौर पर सेब के पेड़ में फल तीन साल के बाद आना शुरू होता है। श्रीशैल ने जो पेड़ लगाए उससे दो साल दो महीने में ही फल आना शुरू हो गए।

यह भी पढ़ें- हथियार छोड़ उठाया मछली का जाल, खुद के साथ बदली दूसरों की जिंदगी, हौसला देती है ओम प्रकाश साहू की कहानी

श्रीशैल 12 टन से ज्यादा सेब बेच चुके हैं। उन्हें 50 रुपए से 150 रुपए किलो कीमत मिली है। श्रीशैल ने सेब की खेती शुरू करने में जो पैसे खर्च किए वे वसूल हो गए हैं। आज लोग उन्हें एक सफल किसान के रूप में देखते हैं। उनसे सेब की खेती सीखने आते हैं।

यह भी पढ़ें- कौन हैं चेवांग नोरबू भूटिया, जानवरों के डॉक्टर ने सिक्किम में बदली पारंपरिक बुनाई की दुनिया