Kolkata Flood: कोलकाता में 6 घंटे इतनी तेज बारिश हुई कि शहर जलमग्न हो गया। सड़कें पानी में डूब गईं। लोगों के घरों में पानी घुस गया। बाढ़ जैसी स्थिति के चलते जन जीवन अस्त-व्यस्त हो गया। 7 लोगों की मौत हुई।
Kolkata Rainfall: 1 सितंबर से 22 सितंबर के बीच कोलकाता में 178.6 mm बारिश हुई। यह इस अवधि के दौरान होने वाली सामान्य 213.7 mm बारिश से 16 प्रतिशत कम है। 22 सितंबर सुबह 8.30 बजे से 23 सितंबर सुबह 8.30 बजे के बीच यहां 247.4 mm बारिश हुई। अधिकतर बारिश रात के कुछ घंटों में हुई।

भारी बारिश के चलते कोलकाता में बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो गई। दुर्गा पूजा से पहले आई इस आपदा से भारी तबाही हुई है। कोलकाता में कुछ ही घंटों में इस महीने के 22 दिनों से भी ज्यादा बारिश हुई है। मूसलाधार बारिश के कारण कई इलाकों में पानी भर गया है और यातायात, ट्रेन और मेट्रो सेवाएं ठप हो गई हैं।

बारिश से जुड़ी घटनाओं में सात लोगों की मौत हुई है। इनमें से कुछ की मौत बिजली का झटका लगने से हुई है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और कोलकाता के मेयर फिरहाद हकीम ने लोगों से घरों के अंदर रहने की अपील की है। मेयर ने कहा कि अगर फिर से बारिश नहीं हुई तो शहर में सामान्य स्थिति बहाल होने में कम से कम 12 घंटे लगेंगे।

कोलकाता में क्यों हुई इतनी अधिक बारिश?
मौसम विभाग के अनुसार, बंगाल की खाड़ी के उत्तर-पूर्व में एक निम्न दबाव का क्षेत्र बना। इसके चलते कोलकाता, हुगली और हावड़ा सहित पश्चिम बंगाल के गंगा तटीय क्षेत्रों में भारी बारिश हुई है। यह निम्न दबाव का क्षेत्र अगले 24 घंटों तक इसी क्षेत्र में बना रह सकता है। इसके चलते कोलकाता में और अधिक बारिश हो सकती है।

कोलकाता में 6 घंटे हुई भारी बारिश, बाढ़ में डूबे घर
कोलकाता और उसके उपनगरों के ज्यादातर इलाकों में आधी रात के बाद बारिश शुरू हो गई। रात 12 बजे से सुबह 6 बजे के बीच हुई भारी बारिश से सड़कें और घर पानी में डूब गए और शहर में बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो गई। कोलकाता नगर निगम के अनुसार, बारिश से सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों में बल्लीगंज (295 मिमी), गरियाहाट (262 मिमी), जादवपुर (258 मिमी), अलीपुर (240 मिमी) और मुकुंदपुर (280 मिमी) शामिल हैं।
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कोलकाता में हुई 2663% अधिक बारिश
मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के आंकड़ों के अनुसार, कोलकाता में सुबह 8.30 बजे तक 24 घंटों में शहर की दीर्घकालिक औसत वर्षा की तुलना में 2,663% अधिक बारिश हुई। दूसरे स्थान पर हावड़ा रहा। यहां, दीर्घकालिक औसत से 1,006 प्रतिशत अधिक वर्षा हुई। उत्तर 24 परगना में औसत से 857 प्रतिशत अधिक वर्षा हुई। ये आंकड़े इस बात का संकेत देते हैं कि शहर में इतने कम समय में कितनी भारी वर्षा हुई है।
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