सार
नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के साथ इंडिया गठबंधन के सांसदों ने गुरुवार को स्पीकर ओम बिरला से मुलाकात कर आपातकाल का जिक्र किए जाने पर नाखुशी जाहिर की है।
LS Speaker on Emergency issue: 18वीं लोकसभा के पहले सत्र में इमरजेंसी का जिक्र किए जाने को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के साथ इंडिया गठबंधन के सांसदों ने गुरुवार को स्पीकर ओम बिरला से मुलाकात कर आपातकाल का जिक्र किए जाने पर नाखुशी जाहिर की है। राहुल गांधी ने कहा कि यह पूरी तरह से राजनीतिक मुद्दा है, स्पीकर को इससे बचना चाहिए था। उधर, कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने स्पीकर को लेटर लिखकर इसे संसदीय परंपराओं का उपहास उड़ाना बताया है।
राहुल गांधी के साथ कौन-कौन मिला स्पीकर से?
नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के साथ इंडिया गठबंधन दल के सांसदों में सपा के धर्मेंद्र यादव, डिंपल यादव, डीएमके की कनिमोझी, एनसीपी शरद पवार की सुप्रिया सुले, आरजेडी की मीसा भारती, टीएमसी के कल्याण बनर्जी, आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन आदि शामिल रहे।
वेणुगोपाल ने स्पीकर को लिखा लेटर
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने पार्टी की ओर से स्पीकर ओम बिरला को लेटर लिखकर कर्तव्यों को याद दिलाया है। केसी वेणुगोपाल ने लिखा कि संसद के इतिहास में अध्यक्ष का पद अभूतपूर्व है। एक नवनिर्वाचित स्पीकर के 'पहले कर्तव्यों' में से एक के रूप में अध्यक्ष की ओर से इमरजेंसी का जिक्र आना और भी गंभीर हो जाता है। मैं इसे संसद की संस्थागत विश्वसनीयता पर प्रभाव डालने वाले एक बहुत ही गंभीर मामले के संदर्भ में लिख रहा हूं। मैं, कांग्रेस की तरफ से संसदीय परंपराओं के इस उपहास पर अपनी गहरी चिंता जताता हूं।
क्यों विपक्ष ने स्पीकर पर उठाए सवाल?
लोकसभा अध्यक्ष बनते ही ओम बिरला ने बुधवार को कांग्रेस को सदन में घेरने की कोशिश की। उन्होंने आपातकाल की निंदा करते हुए सदन को दो मिनट मौन रखकर इमरजेंसी के दौरान मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देने की अपील करने के साथ राजनीतिक स्पीच दे डाली। ओम बिरला ने इमरजेंसी और देश के इतिहास में एक काला अध्याय बताया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने आपातकाल में संविधान की भावनाओं को कुचला है जबकि हम संविधान की रक्षा करेंगे। 1975 में आज ही के दिन कैबिनेट ने इमरजेंसी का पोस्ट-फैक्टो रेटिफिकेशन किया था। तब इस तानाशाही और असंवैधानिक निर्णय पर मुहर लगी थी। उन्होंने कहा कि हमारी युवा पीढ़ी को लोकतंत्र के इस काले अध्याय के बारे में जरूर जानकारी होना चाहिए। पढ़िए ओम बिरला ने और क्या-क्या कहा…