ममता बनर्जी ने दावा किया कि पश्चिम बंगाल में एसआईआर प्रक्रिया के दबाव से अब तक 28 कर्मचारियों की मौत हो चुकी है। उन्होंने चुनाव आयोग पर अमानवीय काम का बोझ डालने का आरोप लगाते हुए इस अभियान को तुरंत रोकने की मांग की।

कोलकाता/नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दावा किया है कि पश्चिम बंगाल में एसआईआर के चलते अब तक 28 लोगों की जान जा चुकी है। उन्होंने सोशल मीडिया हैंडल X पर ट्वीट करते हुए ये बात कही। ममता बनर्जी का कहना है कि एसआईआर प्रक्रिया में ज्यादा वर्कलोड के चलते कई कर्मचारी खुदकुशी कर रहे हैं। इसे तत्काल प्रभाव से रोकना चाहिए।

तनाव और काम के बोझ के चलते हो रहीं मौतें

गहरा सदमा और दुःख हुआ। आज फिर हमने जलपाईगुड़ी के माल में एक बूथ लेवल अधिकारी शांति मुनि एक्का, एक आदिवासी महिला, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को खो दिया, जिन्होंने एसआईआर (SIR) के असहनीय दबाव में अपनी जान ले ली। एसआईआर शुरू होने के बाद से अब तक 28 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। कुछ डर और अनिश्चितता के चलते तो कुछ तनाव और काम के बोझ की वजह से खुद को मौत के मुंह में ढकेल चुके हैं।

जो काम 3 साल में पूरा होना चाहिए, उसे 2 महीने में कराया जा रहा

भारतीय चुनाव आयोग द्वारा लगाए गए अनियोजित और जरूरत से ज्यादा वर्कलोड के चलते इतनी कीमती जानें जा रही हैं। एक प्रक्रिया जो पहले 3 साल में पूरी होती थी, अब राजनीतिक आकाओं को खुश करने के लिए चुनाव से ठीक पहले 2 महीने में पूरी की जा रही है, जिससे बीएलओ पर अमानवीय दबाव पड़ रहा है। मैं चुनाव आयोग से आग्रह करती हूं कि वह विवेक से काम ले और और इन मौतों से पहले इस अनियोजित अभियान को तत्काल रोके।

BLO का आरोप, दिसंबर तक की डेडलाइन थकाने वाली

बता दें कि देश के 12 राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों में वोटर लिस्ट का विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision) चल रहा है। पश्चिम बंगाल में चुनाव आयोग ने कहा है कि SIR के दौरान किसी भी तरह की चूक पाए जाने पर अधिकारियों को जवाबदेह ठहराया जाएगा। वहीं, कई राज्यों में ड्यूटी पर लगाए गए BLO का आरोप है कि काम के लंबे घंटे और दिसंबर तक की डेडलाइन बेहद थकाने वाली है। कई राज्यों में BLO इसका बहिष्कार कर रहे हैं।

क्या है SIR?

SIR चुनाव आयोग की एक प्रक्रिया है, जिसमें वोटर लिस्ट को अपडेट किया जाता है। इसमें 18 साल से अधिक वाले नए वोटर्स को जोड़ने के साथ ही उन वोटर्स का नाम हटाया जाता है, जिनकी मौत हो चुकी है। इसके अलावा ऐसे वोटर जो एक राज्य को छोड़कर दूसरी जगह जा चुके हैं, उन्हें भी हटाया जाता है। साथ ही वोटर लिस्ट में किसी के नाम, पते या अन्य रिकॉर्ड में हुई गलतियों को भी सुधारा जाता है। इसके लिए बीएलओ घर-घर जाकर फॉर्म भरवाते हैं।