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मनीष सिसोदिया की ईडी रिमांड खत्म: अब 3 अप्रैल तक सीबीआई की रिमांड पर भेजा गया, स्पेशल कोर्ट ने 5 अप्रैल तक जेल भेजा
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दिल्ली आबकारी नीति केस में सिसोदिया की ईडी रिमांड खत्म होने के बाद बुधवार को कोर्ट में पेश किया गया था। इसके बाद कोर्ट ने उनको सीबीआई रिमांड पर दे दिया। CBI और ED दोनों ही शराब नीति केस की जांच कर रही हैं। सिसोदिया को ED ने 9 मार्च को तिहाड़ जेल से गिरफ्तार किया था। मनीष सिसोदिया 10 मार्च से 22 मार्च तक ईडी की रिमांड पर हैं। 23 मार्च से 3 अप्रैल तक उनकी कस्टडी CBI के पास रहेगी।
बीते शुक्रवार यानी 17 मार्च को ईडी ने मनीष सिसोदिया का रिमांड पांच दिनों के लिए बढ़ा दिया था। दिल्ली आबकारी नीति केस में गिरफ्तार मनीष सिसोदिया को 22 मार्च तक रिमांड पर दे दिया था। 17 मार्च को उनका रिमांड खत्म हो गया था। हालांकि, ईडी ने स्पेशल कोर्ट में सात और दिनों की रिमांड मांगी थी लेकिन पांच दिन कोर्ट ने दिया। सिसोदिया के वकील ने रिमांड का विरोध किया लेकिन ईडी ने बताया कि मनीष सिसोदिया ने अपने मोबाइल को बार-बार बदला था, उस दौरान का डेटा फिर से निकाला गया है। पूर्व डिप्टी सीएम के ईमेल और मोबाइल फोन से निकाले गए डेटा की एनालिसिस की जा रही है। इसलिए अभी और पूछताछ का समय चाहिए। इस सहमत होते हुए कोर्ट ने पांच दिनों का रिमांड और दे दिया।
ईडी ने मनीष सिसोदिया को 9 मार्च को दिल्ली शराब नीति केस में मनी लॉन्ड्रिंग मामले में तिहाड़ जेल से गिरफ्तार किया था। 10 मार्च को दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट ने 7 दिन का रिमांड ईडी को दिया था। शुक्रवार 17 मार्च को एक बार फिर ईडी को पांच दिनों का रिमांड कोर्ट ने सैंक्शन कर दिया है। रिमांड मांगते हुए ED ने दावा किया है कि सिसोदिया व अन्य लोगों ने मिलकर दिल्ली आबकारी नीति को लागू करने और छूट देने के लिए 290 करोड़ रुपये से अधिक की रिश्वत ली थी।
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ईडी ने दावा किया कि शराब कार्टेल के 'साउथ ग्रुप' से 100 करोड़ रुपये प्राप्त हुए थे। एक आरोपी कंपनी, इंडोस्पिरिट्स ने 192.8 करोड़ रुपये का लाभ कमाया था। ईडी ने मामले में अब तक 12 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिसमें दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री और आप नेता मनीष सिसोदिया भी शामिल हैं।
मनीष सिसोदिया की जमानत पर 22 मार्च को भी कोर्ट ने सुनवाई की थी। सिसोदिया की जमानत का सीबीआई ने विरोध किया था। पूर्व उप मुख्यमंत्री की जमानत के लिए मोहित माथुर ने जिरह की थी। सिसोदिया की ओर से स्पेशल कोर्ट में वकील मोहित माथुर ने जिरह करते हुए कहा कि कोर्ट या जांच एजेंसियां किसी भी सरकार की बनाई गई नीति की जांच या समीक्षा नहीं कर सकती हैं। कोई इस आधार पर किसी सरकारी नीति पर दखल भी नहीं दे सकती कि उसमें कोई गलती है। कोर्ट यह देख सकता है कि किसी भी सरकारी नीति से किसी भी नागरिक का कोई मूल अधिकार तो प्रभावत नहीं हुआ है। माथुर ने कहा कि दिल्ली सरकार में महज 7 मंत्री है ऐसे में सिसोदिया के पास इतने अधिक विभाग होना सामान्य बात है। इस आधार पर किसी अपराध या साजिश के तौर पर तो नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सीबीआई आधा भरे गिलास को आधा खाली दिखाने की कोशिश में है। सिसोदिया के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल की पत्नी बीमार है। एकलौता बेटा विदेश में पढ़ाई कर रहा है, उनकी देखभाल के लिए घर में कोई नहीं है।