एयर इंडिया की मुंबई फ्लाइट में माही खान नामक यात्री से मराठी न बोलने पर एक महिला ने बदतमीज़ी की। माही खान ने  बताया कि उन्होंने क्रू को बुलाया पर किसी ने मदद नहीं की। घटना ने “भाषा की आज़ादी बनाम क्षेत्रीय गर्व” पर देशव्यापी बहस छेड़ दी।

नई दिल्ली। एयर इंडिया की एक फ्लाइट में “भाषा की दीवार” को लेकर ऐसी घटना हुई जिसने यात्रियों को हैरान कर दिया। एक महिला यात्री ने अपने साथ बैठे माही खान नाम के व्यक्ति से मराठी में बात करने के लिए कहा, और जब उन्होंने मना किया तो वह नाराज हो गई और बहस करने लगी। झगड़ा इतना बढ़ गया कि पूरी फ्लाइट में असहज माहौल बन गया। यह घटना मुंबई जाने वाली एयर इंडिया की फ्लाइट में हुई, और मोबाइल कैमरे में इसका वीडियो भी रिकॉर्ड हो गया, जो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

आखिर हुआ क्या था इस फ्लाइट में?

माही खान एक यूट्यूबर और कंटेंट क्रिएटर हैं। उन्होंने बताया कि वह सुबह 6:25 की फ्लाइट से मुंबई जा रहे थे। टेकऑफ के बाद उन्होंने अपनी सीट थोड़ी पीछे की तो पीछे बैठी महिला की ट्रे पर रखी बोतल गिर गई। महिला ने तुरंत मराठी में चिल्लाना शुरू कर दिया।

Scroll to load tweet…

माही ने कहा, “मैंने उनसे सॉरी कहा, लेकिन जब उन्होंने फिर से मराठी में कुछ कहा तो मुझे समझ नहीं आया। मैंने उनसे कहा कि कृपया हिंदी या इंग्लिश में बोलिए ताकि मैं जवाब दे सकूं। तभी वह बोलीं, ‘तुम मुंबई जा रहे हो, मराठी नहीं जानते?’”

क्या सिर्फ मुंबई जाने पर मराठी बोलना जरूरी है?

माही खान का कहना है कि वह करीब चार साल से मुंबई में रह रहे हैं और उनके कई मराठी दोस्त हैं, लेकिन किसी ने भी उन्हें कभी किसी भाषा में बात करने के लिए मजबूर नहीं किया। उन्होंने कहा, “अगर कोई भाषा प्यार से सिखाई जाए तो खूबसूरत लगती है, लेकिन जब उसे थोपने की कोशिश होती है, तो वही भाषा भेदभाव का कारण बन जाती है।”

उन्होंने बताया कि उन्होंने क्रू मेंबर को बुलाकर सारी बात बताई, लेकिन उन्होंने सिर्फ बीच-बचाव किया और कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। महिला ने यहां तक धमकी दी कि “मुंबई पहुंचने के बाद बदतमीज़ी का मतलब समझा दूंगी।” माही ने सवाल उठाया, “क्या एयर इंडिया की फ्लाइट में मराठी बोलना जरूरी है? अगर नहीं, तो फिर क्रू ने उस महिला को क्यों नहीं रोका?”

माही खान का दर्द: "हम विविधता में एकता की बात करते हैं, पर एकता कहां है?"

माही ने कहा, “हम ‘विविधता में एकता’ का नारा तो लगाते हैं, लेकिन असल में एकता कहां दिखती है? जब लोग एक-दूसरे को भाषा, क्षेत्र और पहचान के नाम पर बांटने लगें, तो यूनिटी सिर्फ किताबों में रह जाती है।” उन्होंने कहा कि भारत जैसे देश में हर भाषा की अपनी सुंदरता है, लेकिन जब कोई किसी पर अपनी भाषा थोपने की कोशिश करता है, तो वह संवाद नहीं, विवाद बन जाता है। ये घटना इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है।