सार
मां शक्ति की भक्ति का पर्व नवदुर्गा उत्सव(Navratri 2021) 7 अक्टूबर से शुरू होगा। दुर्गा के पंडाल हमेशा से किसी थीम पर तैयार किए जाते हैं। पश्चिम बंगाल में इस बार किसान आंदोलन दिखाया जा रहा है।
नई दिल्ली. केंद्र के तीन कृषि कानूनों को लेकर पिछले एक साल से प्रदर्शन चल रहा है। 3 अक्टूबर को यूपी के लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा ने इसे और तूल दे दिया है। मां शक्ति की भक्ति का पर्व नवदुर्गा उत्सव(Navratri 2021) 7 अक्टूबर से शुरू होगा। दुर्गा के पंडाल हमेशा से किसी थीम पर तैयार किए जाते हैं। पश्चिम बंगाल में इस बार किसान आंदोलन दिखाया जा रहा है। आयोजक ने ANI को बताया, “हमारे कलाकारों ने भी सोचा कि किसान विरोध पर पंडाल बनाना चाहिए। यह सिर्फ देश में ही नहीं पूरी दुनिया में इसपर चर्चा है। हमने सोचा कि यह सही समय है।”
Corona के असर से त्यौहार फीके
इस बार भी corona Virus के चलते मूर्ति बनाने वालों कारीगरों को धंधा मंदा है। क्योंकि त्यौहारों पर असर पड़ा है। त्यौहारों को लेकर दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण(DDMA) नई गाइडलाइन जारी कर दी है। यह 15 नवंबर तक प्रभावी रहेगी। इस अवधि में छह पूजा से लेकर दशहरा-दीपावली सभी त्यौहार आ रहे हैं। दिल्ली में पॉल्युशन के चलते पहले से ही पटाखे बैन हैं। दिल्ली सरकार ने पिछले साल भी छठ पूजा सार्वजनिक जगहों पर नहीं होने दी थी। वहीं, पटाखे चलाने पर भी सख्ती दिखाई थी। बता दें छठ पूजा दीपावली के छह दिन बाद से शुरू होती है। इस बार यह 8 नवंबर से शुरू होगी, जो 4 दिनों तक चलेगी।
कर्नाटक में 4 फीट से ऊंची नहीं होंगी देवी प्रतिमाएं
बेंगलुरु महानगर पालिका ने एक आदेश जारी किया है। इसके अनुसार मूर्ति का आकार 4 फीट से अधिक नहीं होना चाहिए। जोन के संबंधित संयुक्त आयुक्त की अनुमति से प्रति वार्ड 1 मूर्ति स्थापित की जानी चाहिए। प्रार्थना के दौरान एक बार में 50 से अधिक लोगों को अनुमति नहीं होगी।
अगरतला में बेमौसम बारिश ने खराब की मूर्तियां
त्रिपुरा के अगरतला में बेमौसम बारिश से दुर्गा पूजा की तैयारियां प्रभावित हो रही हैं। त्योहार से कुछ दिन पहले मूर्तियों की पेंटिंग से लेकर पंडाल निर्माण तक की तैयारियां ठप हो रही हैं। एक कारीगर चित्त पॉल ने ANI को बताया कि इससे उन्हें नुकसान हो सकता है।
यह भी पढ़ें
Navratri 2021: कोरोना के असर से देवी मूर्तियों की डिमांड कम; कारीगर बोले-बस जैसे-तैसे पेट भर रहे
Amazing Place: कोरोनाकाल में सूना-सूना रहा ये स्थल अब फिर से आपके Welcome को है तैयार; जानिए इसके बारे में
बुद्धम शरणम गच्छामि: भारत को क्यों कहते हैं 'The Land of Buddha' अगर जानना है, तो कभी इस ट्रेन में बैठें