सार

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने कहा कि अगली जनसंख्या जनगणना ई-जनगणना होगी। यह अगले 25 साल के लिए नीतियों को आकार देगी।  2024 तक देश में सभी जन्म और मृत्यु को जनगणना से जोड़ा जाएगा जो अपने आप अपडेट हो जाएगा।

नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने सोमवार को असम में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि देश में होने वाली अगली जनसंख्या जनगणना ई-जनगणना (E-Census) होगी। यह अगले 25 साल के लिए नीतियों को आकार देगी। असम के अमिनगांव में जनगणना कार्यालय के उद्घाटन के अवसर पर अमित शाह ने कहा कि गृह मंत्रालय ने जनगणना को और अधिक वैज्ञानिक बनाने के लिए आधुनिक तकनीकों को जोड़ने का फैसला किया है। अगली जनगणना ई-जनगणना होगी, 100% पूर्ण जनगणना होगी।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2024 तक देश में सभी जन्म और मृत्यु को जनगणना से जोड़ा जाएगा जो अपने आप अपडेट हो जाएगा। 2024 तक जन्म और मृत्यु रजिस्टर को जनगणना से जोड़ा जाएगा। हर जन्म और मृत्यु को पंजीकृत किया जाएगा, जिसका अर्थ है कि हमारी जनगणना अपने आप अपडेट हो जाएगी। जन्म के बाद विवरण जनगणना रजिस्टर में जोड़ा जाएगा, 18 वर्ष के होने के बाद नाम मतदाता सूची में शामिल किया जाएगा और मृत्यु के बाद नाम हटा दिया जाएगा। नाम/पता परिवर्तन आसान होगा। यह सब जुड़ा होगा।

विकास की प्लानिंग का आधार है जनगणना
अमित शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने तय किया है कि आधुनिक तकनीक से जनगणना को और सटीक, साइंटिफिक व बहुआयामी बनाया जाएगा। इसके साथ ही इसके डेटा के विश्लेषण की उचित व्यवस्था होगी। पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जनगणना को केवल आकड़ों का आधार नहीं, बल्कि विकास की प्लानिंग का आधार बनाने की एक नई शुरुआत हुई है। सटीक जनगणना से ही देश में समस्याओं के समाधान के लिए सही प्लानिंग हो सकती है। अगर बजट की प्लानिंग जनगणना द्वारा रेखांकित विकास के नक्शे के आधार पर हो तो समस्याओं का समाधान अपने आप हो जाएगा। इसलिए प्रधानमंत्री ने शुरू से ही जनगणना को बहुत महत्व दिया है।

खुद भरूंगा परिवार के सदस्यों का डेटा ई-फॉर्म 
उन्होंने कहा कि जनगणना को नये नजरिये से देखना समय की जरूरत है। जनगणना के काम को पेपर सेंसस से डिजिटल सेंसस की ओर ले जाने का ये एक ऐतिहासिक वर्ष है। मैं स्वयं भी अपने परिवार के सदस्यों का डेटा ई-फॉर्म के रूप में भरूंगा और मुझे विश्वास है कि देश की जनता भी जागरूकता के साथ इसमें सहयोग करेगी। जनगणना ही आर्थिक विकास में पीछे रह गए देश के भौगोलिक क्षेत्रों व सामाजिक समूहों को इंगित करती है। सामाजिक संरचना में होते बदलावों और देश की विभिन्न भाषा-संस्कृतियों का परिचय भी जनगणना कराती है, लेकिन दुर्भाग्य से इतनी बहुआयामी कवायद को जितना महत्व मिलना चाहिए था वह नहीं मिला।

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25 साल के विकास का खाका तैयार होगा
गृह मंत्री ने कहा कि जनगणना आकड़ों का ऐसा स्त्रोत है,जिसके आधार पर केंद्र व राज्य सरकारें अपनी नीतियां बनाती हैं। जनगणना एक साथ हमें कई सर्वेक्षणों से बचाने का काम करती है। मोदी सरकार ने तय किया है कि अब जो जनगणना होगी वह ई-जनगणना होगी, जिसके आधार पर देश के अगले 25 साल के विकास का खाका तैयार होगा।

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