सार
नई दिल्ली. निर्भया मामले के दोषियों ने बृहस्पतिवार को एक और कदम उठाते हुए निचली अदालत में एक अर्जी दायर करके यह कहते हुए फांसी देने पर ‘‘अनिश्चित काल’’ के लिए रोक लगाने का अनुरोध किया कि उन्होंने अभी अपने बाकी बचे कानूनी उपायों का इस्तेमाल नहीं किया है।
नई दिल्ली. निर्भया मामले के दोषियों ने बृहस्पतिवार को एक और कदम उठाते हुए निचली अदालत में एक अर्जी दायर करके यह कहते हुए फांसी देने पर ‘‘अनिश्चित काल’’ के लिए रोक लगाने का अनुरोध किया कि उन्होंने अभी अपने बाकी बचे कानूनी उपायों का इस्तेमाल नहीं किया है। हालांकि उच्चतम न्यायालय ने तीसरी सुधारात्मक याचिका खारिज कर दी है।
चार में से तीन दोषियों के बाकी हैं कुछ कानूनी उपाय
चार दोषियों में से एक मुकेश कुमार सिंह ने अपनी सभी कानूनी उपायों का इस्तेमाल कर लिया है जिसमें दया याचिका शामिल है। उसकी दया याचिका राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गत 17 जनवरी को खारिज कर दी थी। अपील खारिज होने के खिलाफ दायर उसकी अपील शीर्ष अदालत ने बुधवार को खारिज कर दी थी। दोषी विनय कुमार शर्मा ने कल राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर की थी और शीर्ष अदालत ने आज अक्षय कुमार सिंह की सुधारात्मक याचिका खारिज कर दी। इसके जल्द ही दया याचिका दायर किये जाने की संभावना है। वहीं पवन गुप्ता ने अभी सुधारात्मक याचिका शीर्ष अदालत में दायर नहीं की है।
फांसी पर रोक लगाने के लिए तीन आरोपी पहुंचा निचली अदालत
आज दिन में तेजी गति से घटनाक्रम हुए। विनय, अक्षय और पवन के अधिवक्ता निचली अदालत पहुंचे और उनकी फांसी पर रोक लगाने का अनुरोध किया। अधिवक्ता ने कहा कि इनमें से कुछ के विधिक उपायों का इस्तेमाल होना बाकी है। विशेष न्यायाधीश ए के जैन ने मामले पर सुनवायी दोपहर भोजन के बाद करना तय किया। वहीं दोपहर में शीर्ष अदालत की पांच न्यायाधीशों की एक पीठ ने अक्षय की सुधारात्मक याचिका खारिज कर दी और कहा कि ‘‘कोई मामला नहीं बनता’’ और उसकी फांसी पर रोक लगाने से भी इनकार कर दिया। शीर्ष अदालत में घटनाक्रम के कुछ घंटे बाद निचली अदालत के न्यायाधीश ने तिहाड़ जेल प्राधिकारियों को नोटिस जारी किया और तीन दोषियों की अर्जी पर उनका जवाब मांगा। अभियोजन ने इस अर्जी को ‘‘न्याय का मखौल’’ बताया और कहा कि यह केवल ‘‘विलंबित करने की युक्ति’’ है।
अब सबकी नजरें निचली अदालत पर
सभी की नजरें शुक्रवार को निचली अदालत पर रहेंगी जब सुबह 10 बजे मामले पर सुनवायी होगी। यह खबर पहले ही आ चुकी है कि मेरठ जेल का पवन जल्लाद दोषियों की निर्धारित फांसी से दो दिन पहले तिहाड़ जेल पहुंच चुका है।
दिल्ली जेल नियामावली के अनुसार मामले के चार दोषियों में से किसी को भी तब तक फांसी नहीं दी जा सकती जब तक आखिरी दोषी अपनी सभी विधिक उपायों का इस्तेमाल नहीं कर लेता। इन उपायों में दया याचिका दायर करना भी शामिल है।
शीर्ष अदालत के दिशानिर्देशों में यह भी शामिल है कि दोषियों को राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज होने के बाद 14 दिन तक फांसी नहीं दी जा सकती।
(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)