सार

नवीन पटनायक ने कहा है कि वीके पांडियन मेरे उत्तराधिकारी नहीं हैं। यह फैसला ओडिशा के लोगों को करना है। उन्होंने पांडियन द्वारा किए गए कामों की सराहना की।

 

नई दिल्ली। ओडिशा में विधानसभा चुनाव के दौरान नवीन पटनायक के सहयोगी वीके पांडियन की खूब चर्चा रही। उनका एक वीडियो वायरल हुआ। इसमें भाषण देने के दौरान नवीन पटनायक के हाथ कांपने और उसे पांडियन द्वारा पकड़कर छिपाने का दृश्य देखा गया। इसके बाद भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया कि वीके पांडियन ने नवीन पटनायक को कंट्रोल किया हुआ है।

चुनाव में नवीन पटनायक की पार्टी बीजू जनता दल (BJD) की हार हुई। चुनाव परिणाम आने के बाद निवर्तमान मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने पार्टी में वीके पांडियन की भूमिका को लेकर चल रही अटकलों पर स्थिति साफ की है। उन्होंने साफ कहा है कि पांडियन उनके "उत्तराधिकारी" नहीं हैं। उनके पास कोई पद नहीं है।

पटनायक ने पांडियन के योगदान को स्वीकारा

पटनायक ने स्पष्ट किया कि पूर्व आईएएस अधिकारी पांडियन (जो 2023 में बीजेडी में शामिल होने से पहले दो दशक से अधिक समय तक उनके निजी सचिव थे) उनके "उत्तराधिकारी" नहीं हैं। ओडिशा के लोगों को फैसला करना है कि उनका उत्तराधिकारी कौन होगा। पटनायक ने स्वास्थ्य, शिक्षा, खेल और मंदिर जीर्णोद्धार कार्यक्रम सहित विभिन्न क्षेत्रों में पांडियन के योगदान को स्वीकार किया। उन्होंने दोहराया कि पांडियन ने पार्टी के भीतर कोई पद नहीं संभाला है।

विधानसभा चुनाव में बीजू जनता दल को मिली है हार

बता दें कि ओडिशा के विधानसभा चुनाव में बीजू जनता दल की हार हुई है। इससे मुख्यमंत्री के रूप में नवीन पटनायक के 24 साल के शासन का अंत हो गया है। इतने लंबे समय तक सत्ता में रहने को लेकर पटनायक ने ओडिशा के लोगों के प्रति उनके अटूट समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, "ओडिशा के लोगों ने मुझे बार-बार आशीर्वाद दिया है। मैं उनका कर्जदार हूं। मुझे लगता है कि हमने हमेशा बेहतरीन काम करने की कोशिश की है। हमें अपनी सरकार और अपनी पार्टी पर गर्व है।"

पटनायक ने वीके पांडियन की आलोचना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने कहा, "मेरे संज्ञान में यह आया है कि पांडियन की आलोचना हुई है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। एक अधिकारी के तौर पर उन्होंने बेहतरीन काम किया। उन्होंने हमारे राज्य में दो चक्रवातों और कोविड 19 महामारी से निपटने में बेहतरीन काम किया। वे ईमानदार व्यक्ति हैं। इसके लिए उनका सम्मान किया जाना चाहिए।"

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ओडिशा में भाजपा को मिली है जीत

बता दें कि ओडिशा में लोकसभा के साथ ही विधानसभा के चुनाव भी हुए। दोनों चुनावों में भाजपा को यहां बड़ी जीत मिली। ओडिशा में विधानसभा के सीटों की संख्या 147 है। भाजपा को 78 सीटों पर जीत मिली। उसके पास स्पष्ट बहुमत है। BJD को 51 सीटों पर जीत मिली। कांग्रेस ने 14 सीट जीते हैं। वहीं, लोकसभा चुनाव की बात करें तो ओडिशा में लोकसभा की 21 सीटें हैं। इनमें से 20 को बीजेपी ने जीत लिया। एक सीट कांग्रेस को मिली।