सार

सीबीआई प्रवक्ता आरसी जोशी ने बताया कि पर्ल एग्रो कोर्पोरशन लिमिटेड (PACL)पॉन्जी स्कैम मामले में जांच एजेंसी ले अलग-अलग राज्यों में कार्रवाई की है। इन जगहों से 11 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तार आरोपियों में प्रेम नाथ, चन्द्र भूषण ढिल्लन, मोहनलाल सेहजपाल, मनमोहन कमल महाजन, कंवलजीत सिंह तोमर पर्ल ग्रुप से जुड़े हैं।

नई दिल्ली। सीबीआई (CBI)ने 60 हजार करोड़ के पर्ल घोटाले में अलग-अलग राज्यों से 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पकड़े गए आरोपियों में से कंपनी के कुछ कर्मचारी और व्यापारी भी शामिल हैं। लंबे समय तक यह समूह प्रॉपर्टी आदि देने का झांसा देकर निवेश करवाता था। इस तरह से समूह ने तकरीबन 5 करोड़ लोगों से ठगी की थी। लोगों को प्रॉपर्टी का झांसा देकर खरीदे गए पैसे से समूह के मालिकों ने विदेशों में संपत्तियां और होटल खरीदे। सीबीआई प्रवक्ता आरसी जोशी ने बताया कि पर्ल एग्रो कोर्पोरशन लिमिटेड (PACL)पॉन्जी स्कैम मामले में जांच एजेंसी ले अलग-अलग राज्यों में कार्रवाई की है। इन जगहों से 11 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तार आरोपियों में प्रेम नाथ, चन्द्र भूषण ढिल्लन, मोहनलाल सेहजपाल, मनमोहन कमल महाजन, कंवलजीत सिंह तोमर पर्ल ग्रुप से जुड़े हैं। अन्य गिरफ्तार लोगों में से प्रवीण कुमार अग्रवाल, मनोज कुमार जैन, आकाश अग्रवाल, अनिल कुमार खेमका, सुभाष अग्रवाल, राजेश अग्रवाल हैं। ये सभी व्यापारी हैं। सीबीआई ने ये सभी गिरफ्तारियां दिल्ली, चंडीगढ़, कलकत्ता, भुवनेशनवर और कुछ राज्यों से की हैं। 

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर शुरू हुई थी जांच 
सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पर्ल (PACL)ग्रुप के खिलाफ जांच शुरू की थी। आरोप था कि पर्ल ग्रुप ने 5 करोड़ निवेशकों से 60,000 करोड़ रुपए विभिन्न स्कीमों में लगवाए और देशभर में बिना अनुमति के अलग-अलग इन्वेस्टमेंट स्कीम चलाकर लोगों को धोखा दिया। यह कंपनी लंबे समय से निवेशकों को झांसा देकर पैसा निवेश करवा रही थी। 


2016 से चल रही गिरफ्तारियां 
जांच के बाद सीबीआई ने निर्मल सिंह भंगू और पर्ल्स ग्रुप के दूसरे डायरेक्टर्स के खिलाफ केस दर्ज किया और जांच शुरू की। जांच के दौरान निर्मल सिंह भंगू, सुखदेव सिंह, सुब्रता भट्टाचार्य, गुरमीत सिंह को 8 जनवरी 2016 को गिरफ्तार किया गया और इनके खिलाफ 7 अप्रैल 2016 को चार्जशीट दाखिल की गई। आरोप है कि पीएसीएल ने आम जनता से कृषि और रियल एस्टेट कारोबार के नाम पर लोगों से धन जुटाया था। सेबी के मुताबिक कंपनी ने 18 साल के दौरान अवैध तरीके से चलाई गई संग्रहण निवेश योजनाओं के जरिये निवेशकों से 60,000 करोड़ रुपए से अधिक रकम इकट्ठा की थी। 


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