सार

 कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन जारी है। इसी बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को मध्यप्रदेश के किसानों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात की। इस दौरान पीएम मोदी ने किसान आंदोलन की आड़ में राजनीति कर रही पार्टियों को जमकर फटकार लगाई।

नई दिल्ली. कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन जारी है। इसी बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को मध्यप्रदेश के किसानों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात की। इस दौरान पीएम मोदी ने किसान आंदोलन की आड़ में राजनीति कर रही पार्टियों को जमकर फटकार लगाई। पीएम मोदी ने कहा, किसानों की सबसे बड़ी चिंता न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) है। मैंने एक बार फिर कहा कि एमएसपी न बंद होगी, न खत्म होगी। उन्होंने कहा कि किसान उन लोगों से बचकर रहें, जो कृषि सुधारों पर झूठ का जाल फैला रहे हैं।

पीएम ने 6 प्वॉइंट बताया, कृषि कानूनों पर कैसे राजनीति हो रही 

1- पिछले 6 साल में हमारी सरकार ने किसानों की एक-एक जरूरत को ध्यान में रखते हुए काम किया है। बीते कई दिनों से देश में किसानों के लिए जो नए कानून बने, उनकी बहुत चर्चा है। ये कृषि सुधार कानून रातों-रात नहीं आए। पिछले 20-22 साल से हर सरकार ने इस पर व्यापक चर्चा की है। कम-अधिक सभी संगठनों ने इन पर विमर्श किया है। 
2- देश के किसान, किसानों के संगठन, कृषि एक्सपर्ट, कृषि अर्थशास्त्री, कृषि वैज्ञानिक, हमारे यहां के प्रोग्रेसिव किसान भी लगातार कृषि क्षेत्र में सुधार की मांग करते आए हैं। सचमुच में तो देश के किसानों को उन लोगों से जवाब मांगना चाहिए जो पहले अपने घोषणापत्रों में इन सुधारों की बात लिखते रहे, किसानों के वोट बटोरते रहे, लेकिन किया कुछ नहीं। सिर्फ इन मांगों को टालते रहे। और देश का किसान, इंतजार ही करता रहा।
3- अगर आज देश के सभी राजनीतिक दलों के पुराने घोषणापत्र देखे जाएं, उनके पुराने बयान सुने जाएं, पहले जो देश की कृषि व्यवस्था संभाल रहे थे उनकी चिट्ठियां देखीं जाएं, तो आज जो कृषि सुधार हुए हैं, वो उनसे अलग नहीं हैं। 
4- किसान आंदोलन करते थे, प्रदर्शन करते थे लेकिन इन लोगों के पेट का पानी नहीं हिला। इन लोगों ने ये सुनिश्चित किया कि इनकी सरकार को किसान पर ज्यादा खर्च न करना पड़े। इनके लिए किसान देश की शान नहीं, इन्होंने अपनी राजनीति बढ़ाने के लिए किसान का इस्तेमाल किया है।
5- किसानों की बातें करने वाले लोग कितने निर्दयी हैं इसका बहुत बड़ा सबूत है स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट। रिपोर्ट आई, लेकिन ये लोग स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों को आठ साल तक दबाकर बैठे रहे। 
6- हर चुनाव से पहले ये लोग कर्जमाफी की बात करते हैं। और कर्जमाफी कितनी होती है? सारे किसान इससे कवर हो जाते है क्या? जो छोटा किसान बैंक नहीं गया, जिसने कर्ज नहीं लिया, उसके बारे में क्या कभी एक बार भी सोचा है इन लोगों ने। जितने पैसे ये भेजने की बात करते रहे हैं, उतने पैसे किसानों तक कभी पहुंचते ही नहीं हैं। किसान सोचता था कि अब तो पूरा कर्ज माफ होगा। और बदले में उसे मिलता था बैंकों का नोटिस और गिरफ्तारी का वॉरंट। कर्जमाफी का सबसे बड़ा लाभ किसे मिलता था? इन लोगों के करीबियों को।