सार
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने खुलासा किया है कि मोदी ने मीराबाई चानू और एक अन्य एथलीट को बेहतर मेडिकल केयर और ट्रेनिंग में मदद की थी।
नई दिल्ली.Tokyo Olympics 2020 के दूसरे ही दिन वेटलिफ्टिंग में भारत के लिए सिल्वर मेडल जीतकर इतिहास रचने वालीं मीराबाई चानू की मेडिकल केयर और ट्रेनिंग में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बहुत बड़ी मदद की थी। इसका खुलासा मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने किया है। बता दें मणिपुर सरकार ने चानू को पुलिस विभाग में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (Additional Superintendent of Police) की पोस्ट के साथ 3 करोड़ रुपए का इनाम दिया गया है।
बेहतर चिकित्सकीय देखभाल और प्रशिक्षण के लिए मोदी ने की थी मदद
मणिपुर के मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने टोक्यो ओलंपिक खेलों में जाने से पहले दो एथलीट(जिनमें चानू भी हैं) को अमेरिका में बेहतर चिकित्सीय देखभाल(better medical care) और ट्रेनिंग में मदद दिलवाने पहल की थी। बता दें कि सिंह विधानसभा चुनाव से पहले राज्य की कुछ योजनाओं पर अपने शीर्ष नेतृत्व से चर्चा करने दिल्ली पहुंचे थे। सिंह ने बताया कि इसी हफ्ते जब उनकी मुलाकात प्रधानमंत्री से हुई, तब उन्होंने चानू की मदद के लिए उन्हें धन्यवाद कहा।
चानू भी हुई थीं हैरान
बता दें कि चानू को मांसपेशियों के ऑपरेशन और ट्रेनिंग के लिए अमेरिका जाना था। चानू ने कहा था कि अगर उन्हें मदद नहीं मिली, तो वो अपना लक्ष्य हासिल नहीं कर पाएंगी। इसके बाद मोदी से बात हुई और फिर मदद मिली। इसका पूरा खर्चा पीएम ने उठाया। बता देंकि चानू जब इंफाल पहुंची, तो इंफाल एयरपोर्ट पर चानू का भव्य स्वागत किया गया था। उनको लेने के लिए एयरपोर्ट पर मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह खुद पहुंचे थे।
यह भी जानें
बता दें कि Tokyo Olympics के दूसरे दिन मीराबाई चानू ने क्लीन एंड जर्क में 110 किग्रा भार उठाकर वेटलिफ्टिंग में भारत को पहला सिल्वर मेडल दिलाया था। उनकी इस उपलब्धि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने Tweet करके बधाई दी थी। मोदी ने कहा था कि TokyoOlympics में इससे सुखद शुरुआत नहीं हो सकती। मीराबाई चानू के शानदार प्रदर्शन से भारत उत्साहित है। वेटलिफ्टिंग (Weightlifting) में Silver मेडल जीतने के लिए उन्हें बधाई। उनकी सफलता हर भारतीय को प्रेरित करती है।
बचपन में चूल्हा जलाने जंगल से लकड़ियां ढोकर लाती थीं
मीराबाई जब 10 साल की थीं, तब वे जंगल से चूल्हा जलाने अपने सिर पर लकड़ियों का गट्ठर लादकर लाती थीं। मीराबाई मणिपुर की राजधानी इम्फाल के पास नोंकपोक ककचिंग गांव से हैं। मीराबाई के बड़े भाई ने उन्हें प्रोत्साहित किया और इम्फाल अथॉरिटी ऑफ इंडिया में ट्रेनिंग के लिए भेजा।
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