सार
तमिलनाडु की वीर गाथाओं में शुमार वीर रानी वेलू नचियार की जयंती(3 जनवरी) पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(PM Modi) ने एक tweet किया। उन्होंने रानी वेलु नचियार को श्रद्धांजलि देते हुए लिखा कि उनका अदम्य साहस आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा।
नई दिल्ली. भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों से लोहा लेने वाली तमिलनाडु की वीरांगना रानी वेलू नचियार की जयंती(3 जनवरी) पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(PM Modi) ने एक tweet किया। उन्होंने रानी वेलु नचियार को श्रद्धांजलि देते हुए लिखा-"वीर रानी वेलू नचियार को उनकी जयंती पर नमन। उनका अदम्य साहस आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा। उपनिवेशवाद से लड़ने के लिए उनकी दृढ़ प्रतिबद्धता उल्लेखनीय थी। वह हमारी नारी शक्ति की भावना को व्यक्त करती हैं।"
ऐसी थीं रानी नचियार
रानी वेलू नचियार (3 जनवरी 1730- 25 दिसम्बर 1796) 1780-1790 के समय में तमिलनाडु के शिवगंगा रियासत की रानी थीं। वह भारत में अंग्रेजी औपनिवेशिक शक्ति के खिलाफ लड़ने वाली पहली वीरांगना थीं। उन्हें तमिलनाडु में "वीरमंगई" नाम से भी जाना जाता हैं।
वेलू नचियार रामनाथपुरम, तमिलनाडु राज्य की राजकुमारी व रामनाद साम्राज्य के राजा चेल्लामुतहू विजयाराघुनाथ सेतुपति और रानी सक्धिममुथल सेतुपति की इकलौती संतान थीं। रानी नचियार चोलो के कश्यपगोत्रम की तरह सुर्यवाम्सम की वंशज थीं। उनका पालन-पोषण बिलकुल राजकुमारों की तरह किया गया था। रानी नचियार ने बचपन से ही घुड़सवारी, तीरंदाजी, तलवारबाजी और मार्शल आर्ट्स की विधिवत शिक्षा ली थी। वे कई भाषाओं की ज्ञाता थीं। एक तरफ वे युद्ध कला में निपुण थीं, तो फ्रेंच, अंग्रेज़ी और उर्दू में भी जबर्दस्त पकड़ रखती थीं। रानी वेलू नचियार की शादी शिवगंगा के राजा मुथुवादुग्नाथापेरिया उदायियाथेवर से हुई थी, जिनसे उन्हें एक बेटी हुई थी।
इस तरह लिया था अंग्रेजों से लोहा
रानी नचियार ने 1780 में मैसूर के सुल्तान हैदर अली की मदद से एक सेना बनाई थी। यह सेना अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में उतारी गई। रानी नचियार ने ईस्ट इंडिया कंपनी के चंगुल से अपने राज्य को बाहर निकाल लिया था। वे देश की पहली महिला क्रांतिकारी रानी मानी जाती हैं, जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ बगावत की थी। उनकी बेटी अंग्रेजों से लड़ाई के दौरान मारी गई थी। रानी ने उसी की याद में सेना का गठन किया था और अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए।
पहली बार मानव बम का इस्तेमाल हुआ
कहा जाता है कि मानव बम का पहली बार प्रयोग रानी नचियार ने ही किया था। यह अंग्रेजों के खिलाफ था। रानी ने करीब 10 साल तक शासन किया। लंबी बीमारी के चलते 1796 में उनका निधन हो गया था।
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