सार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैदराबाद में कई कार्यक्रमों में शिरकत किए। स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी का लोकार्पण और ICRISAT के कार्यक्रम में शिरकत करना प्रमुख रहा। शनिवार को करीब पौने तीन बजे पीएम मोदी हैदराबाद पहुंचे।
हैदराबाद। पीएम मोदी हैदराबाद की यात्रा पर शनिवार को रहे। यहां ICRISAT के गोल्डेन जुबली समारोह का उद्घाटन करने जाते समय पीएम मोदी की नजर अचानक खेतों में उगी फसलों पर पड़ी। पीएम मोदी प्रोटोकॉल की परवाह किए बगैर गाड़ी रूकवा कर खेतों में चले गए। वहां फार्म में चना देख पीएम मोदी उधर गए और उसे तोड़कर खाया। पीएम कुछ देर तक खेतों में रहे फिर निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार आगे बढ़ गए।
हैदराबाद करीब छह घंटे रहे पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैदराबाद में कई कार्यक्रमों में शिरकत किए। स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी का लोकार्पण और ICRISAT के कार्यक्रम में शिरकत करना प्रमुख रहा।
शनिवार को करीब पौने तीन बजे पीएम मोदी हैदराबाद पहुंचे। यहां उनकी अगवानी राज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन, केंद्रीय पर्यटन मंत्री जी किशन रेड्डी और तेलंगाना के मंत्री तलसानी श्रीनिवास यादव ने किया। एयरपोर्ट पर स्वागत के बाद पीएम मोदी ICRISAT परिसर पहुंचे। पाटनचेरु में आईसीआरआईएसएटी (ICRISAT) की 50 वीं वर्षगांठ समारोह का उन्होंने शुभारम्भ किया। यहां ICRISAT परिसर में प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया। इसके अलावा उन्होंने पौधा संरक्षण पर ICRISAT के जलवायु परिवर्तन अनुसंधान केंद्र और ICRISAT की रैपिड जनरेशन एडवांसमेंट केंद्र का भी उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री मोदी ने ICRISAT के विशेष रूप से डिजाइन किए गए प्रतीक चिह्न का भी अनावरण किया और इस अवसर पर एक स्मारक डाक टिकट भी जारी किया।
ICRISAT के बाद स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी का लोकार्पण
ICRISAT के गोल्डेन जुबली समारोह में शिरकत करने के बाद पीएम मोदी शाम करीब पांच बजे स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी का लोकार्पण करने पहुंचे। यहां उन्होंने प्रतिमा का लोकार्पण किया और लोगों को भी संबोधित किया। 216 फीट ऊंची स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी (Statue of Equality) 11वीं सदी के भक्ति शाखा के संत श्री रामानुजाचार्य (Shri Ramanujacharya) की याद में बनाई गई है। श्री रामानुजाचार्य ने आस्था, जाति और पंथ सहित जीवन के सभी पहलुओं में समानता के विचार को बढ़ावा दिया था। यह प्रतिमा ‘पंचलोहा’ से बनी है, जो पांच धातुओं: सोना, चांदी, तांबा, पीतल और जस्ता का एक संयोजन है और दुनिया में बैठने की अवस्था में सबसे ऊंची धातु की मूर्तियों में से एक है। यह 54-फीट ऊंचे आधार भवन पर स्थापित है, जिसका नाम ‘भद्र वेदी’ है। इसमें वैदिक डिजिटल पुस्तकालय और अनुसंधान केंद्र, प्राचीन भारतीय ग्रंथ, एक थिएटर, एक शैक्षिक दीर्घा हैं, जो श्री रामानुजाचार्य के कई कार्यों का विवरण प्रस्तुत करते हैं। इस प्रतिमा की परिकल्पना श्री रामानुजाचार्य आश्रम के श्री चिन्ना जीयार स्वामी ने की है।
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