देश में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए विभिन्न विभागों या मंत्रालयों की परियोजनाएं चलती रहती हैं। लेकिन समन्वय के अभाव में एक ही स्थान पर अलग-अलग परियोजनाओं के शुरू होने से कई प्रकार की समस्याएं और वित्तीय भार भी पड़ता है। 

नई दिल्ली। देश के बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ करने के लिए राष्ट्रीय मास्टर प्लान (national master plan) तैयार हो चुका है। पीएम मोदी, गति शक्ति- मल्टी-मोडल कनेक्टिविटी (GatiShakti-multi modal Connectivity) के लिए इस राष्ट्रीय मास्टर प्लान का शुभारंभ करेंगे। कार्यक्रम 13 अक्टूबर, 2021 को सुबह 11 बजे प्रगति मैदान, नई दिल्ली में आयोजित है। 

क्यों गति शक्ति की है आवश्यकता?

सरकारी विभागों में समन्वय के लिए गति शक्ति-मल्टी मोडल कनेक्टिविटी बहुत ही व्यवहारिक काम करेगा। देश में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए विभिन्न विभागों या मंत्रालयों की परियोजनाएं चलती रहती हैं। लेकिन समन्वय के अभाव में एक ही स्थान पर अलग-अलग परियोजनाओं के शुरू होने से कई प्रकार की समस्याएं और वित्तीय भार भी पड़ता है।

जैसे एक बार सड़क बनने के बाद, अन्य एजेंसियों ने भूमिगत केबल बिछाने, गैस पाइपलाइन आदि जैसी गतिविधियों के लिए फिर से निर्मित सड़क को खोद दिया जाता है। इससे न केवल बड़ी असुविधा होती है, बल्कि एक बेकार खर्च भी बढ़ता है। इसके समाधान के लिए समन्वय बढ़ाने के प्रयास किए गए ताकि सभी केबल, पाइपलाइन आदि एक साथ बिछाई जा सकें। अन्य मुद्दों जैसे समय लेने वाली अनुमोदन प्रक्रिया, नियामक मंजूरी आदि के समाधान के लिए भी कदम उठाए गए हैं। 

एक साथ बन सकेगी सबकी परियोजना

पीएम गतिशक्ति का एक और बड़ा लाभ यह होगा कि कहीं इफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने के लिए अलग-अलग विभागों को अपने अपने स्तर पर अलग-अलग कोई परियोजना बनाने की बजाय एक साथ समन्वय स्थापित कर एक परियोजना बना सकेंगे और अपने स्तर पर संबंधित कार्य को पूरा कर सकेंगे। इससे समय और वित्त दोनों की बचत हो सकेगी। अलग-अलग साइलो में योजना बनाने और डिजाइन करने के बजाय, परियोजनाओं को एक सामान्य दृष्टि से डिजाइन किया जाएगा। 

एक सेट्रलाइज्ड सिस्टम के तहत होगा काम

गति शक्ति का एक केंद्रीकृत पोर्टल होगा जिसमें विभिन्न मंत्रालयों और विभागों की सभी मौजूदा और प्लानिंग एक जगह मिल सकेगा। प्रत्येक विभाग परियोजनाओं की प्लानिंग और एक्सीक्यूशन के लिए महत्वपूर्ण डेटा एक दूसरे को साझा करते रहेंगे। 

सभी मंत्रालय और विभाग अब जीआईएस प्लेटफॉर्म के माध्यम से क्रॉस-सेक्टोरल परियोजनाओं की प्रगति की कल्पना, समीक्षा और निगरानी करने में सक्षम होंगे। क्योंकि उपग्रह इमेजरी समय-समय पर जमीनी प्रगति देगी और परियोजनाओं की प्रगति की रिपोर्ट का पता चल सकेगा।

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