सार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि जल सुरक्षा हम सबकी साझी जिम्मेदारी है। जल रहेगा तभी आने वाला कल भी रहेगा। इसके लिए हमें मिलकर आज से ही प्रयास करने होंगे। जल संरक्षण अब देश में एक जन आंदोलन के रूप में आगे बढ़ रहा है।
जयपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को राजस्थान के आबूरोड में ब्रह्माकुमारी संस्थान द्वारा आयोजित जल-जन अभियान को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित किया। नरेंद्र मोदी ने कहा, "जल-जन अभियान एक ऐसे समय में शुरू हो रहा है जब पानी की कमी को पूरे विश्व में भविष्य के संकट के रूप में देखा जा रहा है।"
उन्होंने कहा, "21वीं सदी में दुनिया इस बात को समझ रही है कि हमारी धरती के पास जल संसाधन कितने सीमित हैं। इतनी बड़ी आबादी के कारण जल सुरक्षा भारत के लिए भी महत्वपूर्ण दायित्व है। हम सबकी साझी जिम्मेदारी है। इसलिए आजादी के अमृतकाल में आज देश जल को कल के रूप में देख रहा है। जल रहेगा तभी आने वाला कल भी रहेगा। इसके लिए हमें मिलकर आज से ही प्रयास करने होंगे।"
आंदोलन के रूप में आगे बढ़ रहा जल संरक्षण
नरेंद्र मोदी ने कहा, "मुझे संतोष है कि जल संरक्षण अब देश में एक जन आंदोलन के रूप में आगे बढ़ रहा है। ब्रह्माकुमारी के इस जल-जन अभियान से जनभागीदारी के प्रयास को नई ताकत मिलेगी। इससे जल संरक्षण के अभियान की पहुंच बढ़ेगी।"
हमारे धर्म और आध्यात्म का हिस्सा है जल संरक्षण
पीएम मोदी ने कहा, "भारत के ऋषियों ने हजारों वर्ष पहले ही प्रकृति, पर्यावरण और पानी को लेकर संयमित, संतुलित और संवेदनशील व्यवस्था का सृजन किया था। जल संरक्षण हजारों साल से हमारे धर्म और आध्यात्म का हिस्सा है। ये हमारे समाज की संस्कृति है। नदियों को मां माना जाता है। जब कोई समाज प्रकृति से ऐसे भावात्मक संबंध जोड़ देता है तो विश्व जिसे सस्टेनेबल डेवलपमेंट कहता है वो उसकी सहज जीवनशैली बन जाती है।"
अतीत की चेतना को फिर से जगाना होगा
मोदी ने कहा, "इसलिए आज जब भविष्य की चुनौतियों के समाधान खोज रहे हैं तो हमें अतीत की उस चेतना को फिर से जगाना होगा। हमें देशवासियों में जल संरक्षण के मूल्यों के प्रति फिर से वैसी ही आस्था पैदा करना होगी। हमें हर उस विकृति को दूर करना होगा जो जल प्रदूषण का कारण बनती है। इसमें हमेशा की तरह भारत की आध्यात्मिक संस्थाओं की बड़ी भूमिका है।"
बीते दशकों में बन गई थी नाकारात्मक सोच
पीएम ने कहा, "बीते दशकों में हमारे यहां एक ऐसी नाकारात्मक सोच बन गई थी कि हम जल संरक्षण और पर्यावरण जैसे विषयों को मुश्किल मानकर छोड़ देते थे। कुछ लोगों ने यह मान लिया था कि इतने बड़े काम है कि इन्हें किया ही नहीं जा सकता। बीते 8-9 वर्षों में देश ने इस मानसिकता और हालत को बदला है। नमामी गंगे इसका एक सशक्त उदाहरण है।"
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उन्होंने कहा, "आज न केवल गंगा साफ हो रही है बल्की उनकी तमाम सहायक नदियां भी स्वच्छ हो रहीं हैं। गंगा के किनारे प्राकृतिक खेती जैसे अभियान भी शुरू हुए हैं। नमामी गंगे अभियान आज देश के विभिन्न राज्यों के लिए एक मॉडल बनकर उभर रहा है। जल प्रदूषण के तरह ही गिरता भूजल स्तर भी देश के लिए बहुत बड़ी चुनौती है। इसके लिए देश ने कैच द रेन मूवमेंट शुरू किया है। यह तेजी से आगे बढ़ रहा है।"
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