सार
16 अगस्त को देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की चौथी पुण्यतिथि है। इस मौके पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और कई अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।
नई दिल्ली. भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहार वाजपेयी की 16 अगस्त को चौथी पुण्यतिथि(former prime minister Atal Bihari Vajpayee on his fourth death anniversary) है। इस मौके पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और कई अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। अटल बिहारी वाजपेयी के स्मारक 'सदैव अटल' पर पुष्पांजलि अर्पित करने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल सहित भाजपा के कई सीनियर लीडर पहुंचे।
इस मौके पर प्रार्थना सभा का भी आयोजन किया गया।
बता दें कि 2018 में आज ही के दिन दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में अटल बिहारी वाजपेयी का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था। वाजपेयी को 2015 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। वे देश के सफल प्रधानमंत्रियों में गिने जाते हैं। विपक्ष भी उनकी कार्यशैली की कायल रही है। वाजपेयी तीन बार भारत के प्रधानमंत्री रहे। उनका जन्म मध्य प्रदेश के ग्वालियर में 25 दिसंबर, 1924 को हुआ था। वह तीन बार देश प्रधानमंत्री पद पर रहे, पहली बार 1996 में वे 13 दिन, दूसरी बार में उन्होंने 1998-1999 में 13 महीने सरकार चलाई। इसके बाद फिर वह पूरे 5 साल के लिए प्रधानमंत्री बने रहे।
अटलजी के बारे में यह भी जानें
अटलजी के पिता का नाम कृष्णा बिहारी वाजपेयी और माता का नाम कृष्णा देवी था। वाजपेयजी अपने गांव के स्कूल में टीचर और एक कवि भी रह चुके। अटल जी भारतीय जनता पार्टी के पहले ऐसे नेता थे, जिनको प्रधानमंत्री बनने का गौरव प्राप्त हुआ। इमरजेंसी के आंदोलनों में जिन विपक्षी नेताओं को जेल में डाला गया था, उनमें पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) भी शामिल थे। अटल जी 18 महीने जेल में रहे। यहां उन्होंने कविताओं के जरिए से लोगों के दिल में जगह बनाई। 26 साल की उम्र में माधवराव सिंधिया पहली बार सांसद चुने गए थे, उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 101 की रसीद काटकर नसंघ की सदस्यता दिलाई थी।
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