सार
बीते बुधवार को अपने फेसबुक पेज पर हरीश रावत ने ने लिखा था, ‘कभी कभी सम्मान जाहिर करने के लिए आप ऐसे शब्द का इस्तेमाल कर जाते हैं जिन पर आपत्ति उठ सकती है। मैंने भी अपने माननीय अध्यक्ष और चार कार्यकारी अध्यक्षों के लिए ‘पंज प्यारे शब्द का इस्तेमाल कर गलती की है।‘
नई दिल्ली। पंजाब कांग्रेस को 'पंज प्यारे' कहने वाले एआईसीसी महासचिव हरीश रावत ने शुक्रवार को गुरुद्वारे में झाड़ू लगाकर और लोगों के जूते साफ कर प्रायश्चित किया। बीते दिनों हरीश रावत ने सिख समाज से माफी मांगते हुए प्रायश्चित का वादा किया था। रावत ने उत्तराखंड के ऊधम सिंह नगर में खटिमा के पास नानकमत्ता गुरुद्वारे में श्रद्धालुओं के जूते साफ किए।
रावत ने दिया था यह बयान
हरीश रावत पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हैं। रावत ने मंगलवार को चंड़ीगढ़ में पंजाब कांग्रेस भवन में एक मीटिंग की थी। मीटिंग के बाद उन्होंने पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष और उनके चार कार्यकारी अध्यक्षों के लिए ‘पंज प्यारे’ शब्द का इस्तेमाल किया था।
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मांग ली थी सार्वजनिक माफी
बीते बुधवार को अपने फेसबुक पेज पर हरीश रावत ने ‘पंज प्यारे‘ शब्द का इस्तेमाल कांग्रेस प्रदेश टीम के लिए करने पर अपनी गलती को स्वीकार किया था। रावत ने लिखा था, ‘कभी कभी सम्मान जाहिर करने के लिए आप ऐसे शब्द का इस्तेमाल कर जाते हैं जिन पर आपत्ति उठ सकती है। मैंने भी अपने माननीय अध्यक्ष और चार कार्यकारी अध्यक्षों के लिए ‘पंज प्यारे शब्द का इस्तेमाल कर गलती की है।‘
उन्होंने कहा कि वह इतिहास के छात्र रहे हैं और जानते हैं कि पंज प्यारों के अग्रणी स्थान की किसी और से तुलना नहीं की जा सकती है। उन्होंने कहा, ‘मुझसे यह गलती हुई है, मैं लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए क्षमा प्रार्थी हूं।‘ रावत ने कहा कि सिख धर्म और इसकी महान परंपराओं के प्रति उनमें हमेशा समर्पण और सम्मान की भावना रही है।
सिख परंपरा में पंज प्यारे का संबोधन बेहद पवित्र
सिख परंपरा में ‘पंज प्यारे संबोधन गुरु के पांच प्यारों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह और उनके पांच अनुयायियों से जुड़ा हुआ है, जिन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की थी।
शिरोमणि अकाली दल ने की थी माफी की मांग
शिरोमणि अकाली दल ने कांग्रेस प्रभारी रावत की टिप्पणी पर आपत्ति जताई थी। अकालियों ने इसके लिए माफी की मांग की थी। अकाली दल नेता दलजीत सिंह चीमा ने आलोचना करते हुए कहा कि लोगों की भावनाओं को आहत करने के लिए राज्य सरकार को उनके खिलाफ मामला दर्ज करना चाहिए।
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