Putin India Visit World Media Reaction: पुतिन के भारत दौरे को अमेरिकी मीडिया ने बड़े घटनाक्रम की तरह दिखाया है। सीएनएन, वॉशिंगटन पोस्ट और फॉरेन पॉलिसी का फोकस इस बात पर है कि भारत रूस और अमेरिका दोनों के बीच कैसे संतुलन बनाए रख रहा है।
Putin India Visit US Media Reaction: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का भारत दौरा वैसे तो सिर्फ दो दिनों का है, लेकिन इसका असर हफ्तों से अमेरिकी न्यूज रूम्स तक में महसूस किया जा रहा है। CNN, वॉशिंगटन पोस्ट, फॉरेन पॉलिसी, लगभग हर बड़ी अमेरिकी मीडिया हाउस की नजरें सिर्फ इस भारत-रूस की दोस्ती पर लगी है। अमेरिकी मीडिया में इसे सिर्फ एक विजिट नहीं, बल्कि कूटनीतिक परीक्षा की तरह देखा जा रहा है। इस बीच रूसी प्रेसीडेंट भारत पहुंच चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एयरपोर्ट से उन्हें रिसीव करने खुद पहुंचे। इस दौरान दोनों लीडर की कमाल की बॉन्डिंग देखने को मिली। रूस-यूक्रेन जंग शुरू होने के बाद पुतिन पहली बार भारत आए हैं और करीब 30 घंटे तक रहेंगे। पुतिन के इस दौरे पर पूरी दुनिया की नजरे हैं लेकिन अमेरिकी मीडिया को मिर्ची लगी हुई है।
पुतिन का भारत दौरा, अमेरिकी मीडिया का रिएक्शन
CNN से लेकर वॉशिंगटन पोस्ट जैसे अमेरिका के बड़े-बड़े मीडिया हाउसेज ने पुतिन की इस विजिट पर लंबी पोस्ट लिखी हैं। उनका कहना है कि पुतिन जैसे ही दिल्ली पहुंचेंगे, उन्हें भव्य स्वागत मिलेगा, लेकिन यहां परेशानी ये है कि भारत दोनों बड़े देशों अमेरिका और रूस से रिश्ते मजबूत रखना चाहता है। CNN ने इसे भारत की कूटनीतिक स्प्लिट स्क्रीन (India’s Diplomatic Split Screen) कहा, मतलब एक स्क्रीन पर रूस और दूसरी स्क्रीन पर अमेरिका। पोस्ट में लिखा 'एक तरफ रूस से फाइटर जेट्स, सस्ता तेल, पुरानी दोस्ती और दूसरी तरफ अमेरिका से टेक्नोलॉजी और ट्रेड, इन्वेस्टमेंट और यह उम्मीद कि ट्रंप ने जो भारी टैरिफ लगाए हैं, वो हट जाएं। भारत दोनों को साथ लेकर चलना चाहता है, लेकिन यह बैलेंस करना आसान नहीं।'
पुतिन का भारत आना सिर्फ एक विजिट नहीं है- CNN
सीएनएन के मुताबिक, पुतिन का भारत आना सिर्फ एक विजिट नहीं है। यह दुनिया को दिखा रहा है कि भारत आज भी रूस के साथ खड़ा है, चाहे ग्लोबल हालात कितने भी बदले हों। सीएनएन ने कुछ प्रमुख पॉइंट उठाए हैं, जिनमें भारत रूस से हथियार क्यों लेता रहेगा? अमेरिकी मीडिया के मुताबिक भारत को पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसी देशों से सुरक्षा खतरे हैं। इसलिए रूस डिफेंस के मामले में भारत के लिए अभी भी 'सबसे भरोसेमंद सप्लायर' है। अमेरिकी मीडिया के अनुसार, चीन रूस के बहुत करीब है और यही बात भारत के लिए असहज है। लेकिन भारत पुतिन को रेड कार्पेट बिछा कर यह दिखा रहा है कि उसके पास तीसरा ऑप्शन मौजूद है और यही चीज भारत की डिप्लोमैटिक ताकत को बढ़ाती है।
भारत 'बैलेंसिंग गेम' खेल रहा है- फॉरेन पॉलिसी मैगजीन
अमेरिकी मैगजीन फॉरेन पॉलिसी (Foreign Policy) ने इसे भारत की सबसे मुश्किल डिप्लोमैटिक स्टेज बताया है। उसके मुताबिक, भारत ऐसा दौर झेल रहा है जहां, अमेरिका नाराज है, चीन से तनाव है, पाकिस्तान के साथ हालात खराब और ऊपर से रूस का यूक्रेन युद्ध..यानी भारत को अपनी पोजिशन बहुत समझदारी से सेट करनी पड़ रही है। मैगजीन के आर्टिकल के अनुसार, भारत किसी एक को खुश करने जाए तो दूसरा नाराज हो जाता है। यही वजह है कि भारत 'बैलेंसिंग गेम' खेल रहा है।
मोदी-पुतिन की मीटिंग पश्चिम को कड़ा मैसेज देती है- वॉशिंगटन पोस्ट
वॉशिंगटन पोस्ट ने इस दौरे को सिर्फ एक औपचारिक मुलाकात नहीं, बल्कि एक रणनीतिक संदेश कहा है। उनका मानना है कि भारत दुनिया को बता रहा है कि वह किसी भी दबाव में आकर अपने पुराने साझेदारों को छोड़ने वाला नहीं है। भारत रूस को एक भरोसेमंद पार्टनर की तरह देखता है, खासकर डिफेंस और ऊर्जा जैसे सेक्टर्स में। वॉशिंगटन पोस्ट के अनुसार, यह मुलाकात दिखाती है कि भारत अब सिर्फ एक उभरती अर्थव्यवस्था नहीं, बल्कि एक स्वतंत्र शक्ति केंद्र है जो अपनी कूटनीति खुद तय करता है। वॉशिंगटन पोस्ट ने (Washington Post) ने कहा कि भारत और रूस ट्रेड, समुद्री सहयोग, हेल्थ, फार्मा, टेक्सटाइल, फर्टिलाइजर सप्लाई और कुशल भारतीय कामगारों को रूस भेजने जैसे बड़े मुद्दों पर डील फाइनल कर सकते हैं। यानी, अमेरिका की चिंता और बढ़ गई, क्योंकि भारत और रूस सिर्फ हथियारों पर नहीं, बल्कि आर्थिक मोर्चे पर भी साथ आ रहे हैं।


