Russia Earthquake: रूस में आए भीषण भूकंप से हिंद महासागर सुनामी 2004 की यादें ताजा हो गईं हैं। इसके चलते 2.3 लाख लोगों की मौत हुई थी। भारत में 10 हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे।

2004 Indian Ocean Tsunami: रूस में बुधवार को आए 8.8 तीव्रता के भूकंप के चलते जापान, अमेरिका से लेकर न्यूजीलैंड तक में सुनामी की चेतावनी जारी की गई है। जापान के तटों पर सुनामी की लहरें पहुंची हैं। इस बीच भारत के लोगों को 2004 में आए हिंद महासागर सुनामी की यादें ताजा हो गईं। इस सुनामी ने 14 देशों में तबाही ला दी थी।

भारत में 2004 में आई सुनामी के बारे में 10 चौंकाने वाली बातें

1- 26 दिसंबर 2004 को हिंद महासागर में इतिहास की सबसे घातक सुनामी आई थी। इंडोनेशिया के सुमात्रा तट पर रिक्टर पैमाने पर 9.1 तीव्रता का भूकंप आया। इससे निकली ऊर्जा 23,000 हिरोशिमा परमाणु बमों के बराबर थी। भूकंप ने हिंद महासागर के नीचे लगभग 1,600 किलोमीटर लंबी एक फॉल्ट लाइन को तोड़ दिया था।

2- कुछ ही मिनटों में भूकंप ने विशाल सुनामी लहरों की एक श्रृंखला शुरू कर दी। ये लहरें 800km/h की रफ्तार से बाहर की ओर फैलीं। इनमें से कुछ 30 मीटर तक ऊंची थीं। लहरें सबसे पहले सुमात्रा के आचे प्रांत में जमीन से टकराईं और पूरे के पूरे कस्बों और गांवों को तहस-नहस कर दिया। ये लहरें श्रीलंका, भारत, थाईलैंड, सोमालिया और दक्षिण अफ्रीका के तटों तक पहुंच गईं।

3- सुनामी के चलते 14 देशों में 2.30 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई। इंडोनेशिया में सबसे अधिक नुकसान हुआ। श्रीलंका और भारत में हजारों लोग मारे गए।

4- भारत में सुनामी के चलते 10 हजार से अधिक लोगों की मौत हुई। 5600 से अधिक लापता हो गए थे। हजारों घर तबाह हो गए। लाखों लोगों को बेघर होना पड़ा। भारत में कई जगह लाश जलाने के लिए सूखी लकड़ी नहीं मिल रही थी। बहुत से ऐसे मामले थे जहां शव को आग देने के लिए कोई बचा नहीं था।

5- दक्षिण भारतीय राज्य, खासकर तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश सुनामी से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए। तमिलनाडु के नागपट्टिनम जिले में 6,000 से ज्यादा मौतें हुईं। मछुआरा समुदाय सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ।

6- सुनामी की लहरें करीब 800 km/h की रफ्तार से आगे बढ़ीं और लगभग बिना किसी चेतावनी के भारतीय तटों से टकराईं। ये 5,000km दूर पूर्वी अफ्रीका तक पहुंच गईं।

7- सुनामी 26 दिसंबर 2004 को आई थी, क्रिसमस के अगले दिन। इसे बॉक्सिंग डे भी कहा जाता है। इसके चलते इसका दूसरा नाम पड़ा, बॉक्सिंग डे सुनामी।

8- सुनामी आने से पहले समुद्र का पानी पीछे हटा। चेन्नई के मरीना बीच जैसी जगहों पर लोग समुद्र तट पर पड़ी मछलियां उठाने लगे। उसी समय अचानक ऊंची लहरें आईं और उन्हें बहा ले गईं। समुद्र तट के पास बसे गांव पूरी तरह तबाह हो गए। कई गांव के 80% तक लोग मारे गए।

9- भारत में लहरें इतनी शक्तिशाली थीं कि पानी पीछे हटने से समुद्र तल दिखने लगता था। फिर पानी की विशाल दीवारों के रूप में लहरें वापस लौट आती थीं।

10-सुनामी के कारण न केवल जीवन की हानि हुई, बल्कि पर्यावरण को भी भारी नुकसान हुआ। कृषि भूमि और मछली पकड़ने के मैदानों का विनाश हुआ। मीठे पानी के श्रोत में खारा पानी मिल गया। कुछ क्षेत्र तो दशकों तक रहने योग्य नहीं बचे।

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2004 की सुनामी से भारत में पड़े 5 बड़े प्रभाव

1- सुनामी के चलते भारत में प्रत्यक्ष आर्थिक नुकसान 3,000 करोड़ रुपए से अधिक होने का अनुमान लगाया गया। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह को 1,000 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हुआ। तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और पांडिचेरी को सामूहिक रूप से 800 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।

2- मछली पकड़ना सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र रहा। 20,000 से ज्यादा कटमरैन नष्ट हो गए। इससे नाव मालिकों और मछुआरों की आमदनी घट गई। 

3- पर्यटन, शिपिंग और बंदरगाहों को भी भारी नुकसान हुआ। तटवर्ती पर्यटन स्थल (खासकर तमिलनाडु और अंडमान में) बुरी तरह प्रभावित हुए। 4 जहाजों के नष्ट होने से शिपिंग इंडस्ट्री को लगभग 200 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।

4- दक्षिणी राज्यों में सड़कें, रेलवे लाइनें, मकान और संचार संपर्क भारी रूप से क्षतिग्रस्त हो गए। हजारों घर तबाह हो गए। बैंकों के भवन नष्ट हुए।

5- सुनामी के कारण खारा पानी खेती लायक जमीन तक पहुंच गया। इससे कृषि योग्य भूमि का नुकसान हुआ। मैंग्रोव और तटीय वन नष्ट हो गए। मीठे पानी के श्रोत खारा पानी मिलने से खराब हो गए।