सार

बिहार में भाजपा की सहायता से सरकार चली रही जेडीयू ने उत्तर प्रदेश में अगले साल होने जा रहे विधानसभा चुनाव में अपने उम्मीदवार खड़ा करने का ऐलान करके भाजपा को सकते में डाल दिया है। हालांकि विपक्षी दल इसे कोई चुनावी चाल ही मान रहे हैं।
 

लखनऊ. उत्तर प्रदेश में अगले साल होने जा रहे विधानसभा चुनाव में जेडीयू की दावेदारी ने राजनीति को एक नया रंग दे दिया है। जेडीयू ने 200 सीटों पर उम्मीदवार उतारने का ऐलान किया है। इस ऐलान के बाद भाजपा सकते में हैं, जबकि विपक्षी दल इसे कोई बड़ी चुनावी चाल मान रहे हैं।

जेडीयू नेता ने योगी को घेरा था
यूपी चुनाव में उतरने के ऐलान के बाद जेडीयू नेता केसी त्यागी ने आजतक को दिए इंटरव्यू में कहा कि योगी सरकार में ब्राह्मण नाराज हैं। सबको बराबर का हक चाहिए। जेडीयू नेता ने यहां तक कहा कि अगर सीटों के बंटवारे में भाजपा से बात नहीं बनी, तो वे छोटे-छोटे दलों से भी हाथ मिलाने से पीछे नहीं हटेंगे। जेडीयू नेता ने कहा कि यूपी में किसानों और पिछड़े वर्ग को न्याय नहीं मिल रहा है। जेडीयू ने ऐलान किया है कि 200 उम्मीदवारों में से सबसे ज्यादा किसान और पिछड़ा वर्ग से होंगे।

2017 का चुनाव न लड़ना बड़ी गलती
जेडीयू नेता केसी त्यागी ने यूपी में 2017 का विधानसभा चुनाव नहीं लड़ना पार्टी की एक बड़ी गलती बताया। उन्होंने उदाहरण दिया कि वीपी सिंह के संन्यास के बाद जनता दल टूटता चला गया। एक हिस्सा सपा में चला गया। अब ये लोग खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। जेडीयू नेता ने माना कि कोरोना काल में केंद्र और राज्य सरकारों दोनों ने गलतियां कीं।

क्या जेडीयू दवाब की राजनीति कर रही
जेडीयू के यूपी विधानसभा चुनाव में उतरने के ऐलान को राजनीतिक पार्टियां अपने-अपने ढंग से देख रही हैं। 2015 में भी नीतीश कुमार यूपी में सक्रिय हुए थे, लेकिन फिर 2017 के विधानसभा चुनाव में पीछे हट गए थे। माना जा रहा है कि यह उनका कोई चुनावी स्टंट हो सकता है, तो भाजपा विरोधियों के लिए नुकसानदायक साबित होगा। हालांकि नीतीश के इस बड़े ऐलान से भाजपा की चिंताएं भी बढ़ गई हैं।

अठावले ने मांगी 8-10 सीटें
इस बीच रिपब्लिक पार्टी ऑफ इंडिया के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले का एक बयान आया है। उन्होंने कहा-मैंने BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से बात की। फरवरी 2022 में आने वाले उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर के चुनावों में उत्तर प्रदेश में रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया को 8-10  सीटें मिलनी चाहिए और बाकी राज्यों में 1-2 सीटें।

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