सार

जम्मू कश्मीर में आर्टिकल 370 हटाने को लेकर दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सुनवाई टाल दी है। अब अगस्त में रोजाना सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की जाएगी।

 

Article 370. जम्मू कश्मीर में आर्टिकल 370 हटाने को लेकर दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई टाल दी है। अब अगस्त में रोजाना सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की जाएगी। केंद्र सरकार ने कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है और 4 साल में हुए बदलाव की बात कही है। सुप्रीम कोर्ट अब 2 अगस्त से इस मामले में सुनवाई करेगा। सीजेआई चंद्रचूड़ ने सभी पक्षों को 25 जुलाई तक तमाम मुद्दों की लिस्ट बनाने के निर्देश दिए हैं।

आर्टकल 370 को लेकर दायर याचिका

जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाला अनुच्छेद 370 खत्म किए और उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित हुए तीन साल से अधिक समय हो गया। सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले को लेकर कई याचिकाएं डालकर चुनौती दी गई थी। तीन साल बाद अब सुप्रीम कोर्ट इन याचिकाओं पर सुनवाई करना शुरू करेगा। पांच जजों की संविधान पीठ मंगलवार से प्रारंभिक कार्यवाही शुरू करेगी। पहले दिन की कार्यवाही में दस्तावेज दाखिल करने और लिखित प्रेजेंटेशन के बारे में बेंच निर्देश देगा। संविधान पीठ मंगलवार को ही तय करेगा कि इस मामले में सुनवाई कब से शुरू की जाएगी। इस बेंच में भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत शामिल होंगे।

केंद्र सरकार ने एफिडेविट दाखिल कर बताया-370 खत्म करने के बाद अभूतपूर्व शांति

उधर, सोमवार को केंद्र ने एक एफिडेविट दायर कर बताया कि अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 को खत्म करने के बाद से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में अभूतपूर्व शांति आई है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हलफनामे में कहा कि जम्मू-कश्मीर पिछले तीन दशकों से आतंकवाद का दंश झेल रहा था। इस पर अंकुश लगाने के लिए धारा 370 को हटाना ही एकमात्र रास्ता था। आज घाटी में स्कूल, कॉलेज, उद्योग सहित सभी आवश्यक संस्थान सामान्य रूप से चल रहे हैं। औद्योगिक विकास हो रहा है और जो लोग डर में रहते थे वे शांति से रह रहे हैं।

अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर को स्पेशल स्टेटस वाले अनुच्छेद 370 किया गया था खत्म

संसद ने अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर को स्पेशल स्टेटस देने वाले अनुच्छेद 370 को खत्म करने का प्रस्ताव पास किया था। साथ ही राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया था। संसद ने राज्य को विभाजित करने के लिए जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम पारित किया था। इसके बाद जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दो केंद्र शासित प्रदेश बना दिए गए थे।

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